Highlights
- पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल का असर
- चीन से बने दिवाली से जुड़े सामान नदारद
- इससे आने वाले समय में रोजगार बढ़ने की भी संभावना
Diwali Season: आज धनतेरस है। दिवाली नजदीक है। लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। इसका असर बाजार में देखने को भी मिल रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक, इस वर्ष दिवाली त्यौहार की खरीदी का देश भर में एक लाख 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक होगी। शुक्रवार को कारोबार में 60,000 करोड़ रुपये की वृद्धि को 'बहुत संतोषजनक' और 'उत्साहजनक' करार दिया गया है।
पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल का असर
दिवाली की खरीदारी का मौसम पहली नवरात्रि से शुरू होकर तुलसी विवाह तक माना जाता है, जिसे इस साल 5 नवंबर के लिए तय किया गया है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के अभियान का देश भर के उपभोक्ताओं पर बहुत प्रभाव पड़ा है, और ग्राहक अब बाजारों में केवल भारतीय उत्पादों की मांग करते हैं।
चीन से बने दिवाली से जुड़े सामान नदारद
उन्होंने कहा कि देश भर के बाजारों में चीन से बने दिवाली से जुड़े सामान लगभग नदारद हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय आयातकों ने इस साल चीन से दिवाली से संबंधित किसी भी वस्तु का आयात नहीं किया है, जिससे चीन को लगभग 75,000 करोड़ रुपये के व्यापार का सीधा नुकसान हुआ है। खंडेलवाल ने कहा कि 2020 में चीन के गलवान घाटी पर आक्रमण के बाद देश भर के व्यापारियों ने चीनी सामानों के बहिष्कार का संकल्प लिया और इसके अभूतपूर्व परिणाम सामने आए हैं।
इस बार की दिवाली भारतीय दिवाली
उन्होंने कहा कि कैट ने देश भर के व्यापारियों से त्योहार की खरीदारी के लिए इस दिवाली को अपनी दिवाली भारतीय दिवाली के रूप में मनाने का आह्वान किया है, उपभोक्ताओं का मुख्य जोर घर की साज-सज्जा की वस्तुओं, दीपावली पूजा के सामान जिनमें मिट्टी के दीये, देवी-देवता, वाल हैंगिंग, हस्तशिल्प की वस्तुएं, शुभ-लाभ, पारंपरिक सौभाग्य आकर्षण जैसे ओम प्रतीक, देवी लक्ष्मी और श्री गणेश जी की पूजा की वस्तुएं शामिल हैं, घर की साज-सज्जा की वस्तुएं जो देश भर के बाजारों में स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और कुशल कलाकारों द्वारा बनाई गई वस्तुओं को बड़ा व्यापार देगी! इससे आने वाले समय में रोजगार बढ़ने की भी संभावना है।