बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज के एवज में प्रावधान के लिये नई व्यवस्था अपेक्षित कर्ज नुकसान लागू करने को लेकर एक साल का और समय देने का आग्रह किया है। फिलहाल बैंक कर्ज के गैर-निष्पादित परिसंपत्ति यानी फंसे ऋण में तब्दील होने पर प्रावधान करते हैं। वहीं नई व्यवस्था के लागू होने पर बैंक को नुकसान के प्रावधान को लेकर कर्ज के फंसे ऋण में तब्दील होने का इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें अनुमान के आधार पर अपेक्षित कर्ज नुकसान का अनुमान लगाना आवश्यक है और उसके आधार पर प्रावधान करना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि इससे बैंकों के लाभ पर एकबारगी प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के मुख्य कार्यपालक सुनील मेहता ने यहां वित्तीय प्रौद्योगिकी पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमने नियामक से इस नई व्यवस्था को लेकर बैंकों को तैयार होने के लिये कुछ और समय देने का आग्रह किया है।’’ यह पूछे जाने पर कि इसके लिये बैंकों को कितना समय चाहिए, मेहता ने कहा, ‘‘हमने उनसे एक और साल का समय देने का आग्रह किया है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो बैंक नई व्यवस्था अपनाने के लिये स्वयं को तैयार करेंगे।
मेहता ने कहा, ‘‘बैंक क्षेत्र पहले से इसके लिये तैयारी कर रहे हैं। कुछ बैंकों ने तो व्यवस्था तैयार भी कर ली है।’’ भारतीय रिजर्व बैंक अपेक्षित कर्ज नुकसान (ईसीएल) व्यवस्था को लेकर पहले ही प्रस्तावित दिशानिर्देश जारी कर चुका है। हालांकि, निश्चित समयसीमा के बारे में अभी निर्णय किया जाना है।
इस बीच, मेहता ने कहा कि आरबीआई से मंजूरी मिलने के बाद रूसी निवेशकों ने भारत सरकार की प्रतिभूतियों में निवेश करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास अतिरिक्त पैसा है और इसीलिए उन्होंने स्थानीय बॉन्ड में निवेश किया है। वे रूसी बैंक हैं और वे सभी हमारे सदस्य हैं। आरबीआई ने व्यवस्था बनायी है जिसके तहत जो भी व्यापार अधिशेष है, वह आप सरकारी बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं।’’