India World Competitiveness Ranking: इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आईएमडी) द्वारा जारी लेटेस्ट वर्ल्ड कॉम्पिटीटिवनेस रैंकिंग में भारत 40वें स्थान पर है। देश पिछले साल से तीन स्थान नीचे खिसक गया है, लेकिन अभी भी 2019-21 के 43वें स्थान से बेहतर स्थिति में है। आईएमडी की वर्ल्ड कॉम्पिटीटिवनेस सेंटर (डब्ल्यूसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने सरकारी एफिशिएंसी में प्रगति की है, लेकिन बिजनेस एफिशिएंसी, बुनियादी ढांचे और आर्थिक प्रदर्शन में पिछड़ गया है। देश के स्कोर में योगदान देने वाले प्रमुख कारक एक्सचेंज रेट स्थिरता, कम्पेंसेशन लेवल और प्रदूषण नियंत्रण में प्रगति थे। रिपोर्ट में 2023 में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों को भी रेखांकित किया गया है, जैसे उच्च जीडीपी वृद्धि को बनाए रखना, वित्तीय बाजार की अस्थिरता का प्रबंधन करना, महंगाई और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना, डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाना और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए संसाधन जुटाना।
ये हैं टॉप-10 कंट्री
वार्षिक रिपोर्ट में लिस्टेड 64 अर्थव्यवस्थाओं में से डेनमार्क, आयरलैंड और स्विट्जरलैंड ने टॉप-थ्री स्थानों पर अपने रैंकिग बनाई, जबकि नीदरलैंड, ताइवान, हांगकांग, स्वीडन, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात टॉप-10 में रहे। आयरलैंड ने इस वर्ष की रैंकिंग में छलांग लगाई और 11वें स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच गया। इसका श्रेय आर्थिक क्षेत्र में इसके प्रदर्शन को दिया जा सकता है, जहां इसने सातवें स्थान से टॉप रेंकिंग हासिल की। आयरलैंड की उन्नति में योगदान देने वाले कारकों में कुशल वर्कफोर्स, हाई एजुकेशनल उपलब्धि, पॉलिसी स्टेबिलिटी, प्रिडिक्टिबिलिटी, कंपेटेटिव टैक्स रिजीम और बिजनेस फ्रेंडली एनवायरनमेंट शामिल है। इस बीच, सिंगापुर तीसरे स्थान से गिरकर चौथे स्थान पर आ गया। 2019 और 2020 में शीर्ष स्थान हासिल करने के बाद, 2021 में देश पांचवें स्थान पर चला गया था।
ये है मेन फेक्टर
इसके अलावा, डेनमार्क ने कंपेटेटिवनेस के सभी फेक्टर में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके अपना शीर्ष स्थान बनाए रखा है। बिजनेस एफिशिएंसी और बुनियादी ढांचे में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए, सरकारी एफिशिएंसी में भी बेहतर परिणाम प्रदर्शित किए हैं। स्विट्जरलैंड ने सभी प्रतिस्पर्धात्मक कारकों, विशेषकर सरकारी एफिशिएंसी और बुनियादी ढांचे में मजबूत प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। हालाँकि, इसकी बिजनेस एफिशिएंसी में थोड़ी गिरावट आई और इसके आर्थिक प्रदर्शन में सुधार हुआ।