मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत को विश्व की अव्वल और उत्तर प्रदेश को देश की शीर्ष अर्थव्यवस्था बनाने में नागरिकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए रविवार को कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति में देश के नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 90वें संस्थापना सप्ताह समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा, ''देश को विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्था तथा प्रदेश को देश में शीर्ष अर्थव्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं है, नागरिकों को भी इसमें अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।''
उन्होंने कहा कि इसके लिए कृषि, शिक्षा, प्रौद्योगिकी समेत सभी क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास तथा स्टार्टअप पर ध्यान देना होगा। उत्तर प्रदेश में असीम संभावनाएं हैं। यह कृषि प्रधान राज्य है। यहां की भूमि सबसे उर्वर है और यहां प्रचुर जल संसाधन हैं। यहां की वृद्धि को दो अंकों में लाकर अर्थव्यवस्था को और समृद्ध बनाया जा सकता है।
विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
आजादी के अमृत महोत्सव में भारत सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ते हुए वैश्विक स्तर पर नए-नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। भारत खुद पर 200 साल तक शासन करने वाले ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गत एक दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के 80 फीसद संसाधनों का नेतृत्व करने वाले 20 देशों के समूह जी-20 का नेतृत्व प्राप्त किया। नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत पूरे विश्व का मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने संस्थानों को सिर्फ शिक्षण तक ही सीमित न रहने तथा विद्यार्थियों से प्रतियोगी गतिविधियों में भी शामिल होने की अपील की।
स्टूडेंट इसके बिना नहीं प्राप्त कर पाएंगे अपना लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को जीवन में अनुशासन का महत्व समझाते हुए कहा कि जिसके जीवन में अनुशासन नहीं होगा वह कभी लक्ष्य नहीं प्राप्त कर सकता। अनुशासनहीन व्यक्ति का जीवन पेंडुलम की तरह होता है। अनुशासन की महत्ता को समझते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह का शुभारंभ अनुशासन पर्व से होता है। वर्ष 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की रूपरेखा आजादी की लड़ाई और आजाद भारत की आठ जरूरतों के अनुरूप बनाई गई थी। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने परिषद की स्थापना विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ शौर्य एवं पराक्रम के प्रतिमान महाराणा प्रताप के नाम पर की थी। लक्ष्य आजाद भारत और माध्यम महाराणा प्रताप का शौर्य व पराक्रम था।