कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका, यूरोप समेत दुनिया के कई देश मंदी की चपेट में है। इस बीच भारत उम्मीद की नई किरण बनकर उभरा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, वैश्विक मंदी के बीच भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इसके साथ ही IMF ने भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में 6.1 फीसदी रहने के अपने अनुमान को बरकरार रखा है। जबकि, 2024 में 6.8 फीसदी रहेगी। आईएमएफ ने यह भी कहा है कि मंदी के इस दौर में चीन और भारत वैश्विक वृद्धि में करीब आधा का योगदान देंगे। वहीं, अमेरिका और यूरोप देशों का करीब 10 फीसदी का योगदान होगा, जो की काफी कम है।
जीडीपी ग्रोथ में कोई आस-पास भी नहीं
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल फिर भारती की विकास दर दुनिया में सबसे तेज रहेगी। चीन भी भारत से काफी पीछे रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023-24 में 6.1 फीसदी और 2024 में 6.8 फीसदी रहेगी। इस दौरान चीन की विकास दर क्रमश: 5.2 फीसदी और 4.5 फीसदी रहेगी। वहीं, अमेरिका की विकास दर इस दौरान 1.4 फीसदी और 1 फीसदी रहेगी। आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन की विकास दर 2023 में -0.6 फीसदी रह सकती है। जबकि, अन्य यूरोपीय देशों की विकास दर भी 0.7 से 1 फीसदी के बीच रहेगी। जापान की विकास दर 2023 में 1.8 फीसदी रहने का अनुमान आईएमएफ ने लगाया है। जबकि, रूस की विकास दर 0.3 फीसदी रहने की बात कही है।
वैश्विक हालात में तेजी से हुआ सुधार
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर भी आई है। आईएमएफ में मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवयर गौरिनचास के अनुसार, 2022 की तीसरी तिमाही में मजबूत श्रम बाजार, मांग बढ़ने, बिजनेस में निवेश बढ़ने और यूरोप में ऊर्जा संकट उम्मीद से कम रहने से आर्थिक वृद्धि पटरी पर लौटी है। इसके अलावा कोरोना से राहत मिलने पर चीन द्वारा अपने बाजार अचानक खोले जाने से आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी से सुधार हुआ है। इससे महंगाई में भी कमी आई है। इसके साथ ही अमेरिकी डॉलर में नवंबर के उच्च स्तर से नरमी आने के बाद उभरते और विकासशील देशों को भी कुछ राहत मिली है। हालांकि, अभी भी स्थिति गंभीर बनी हुई है लेकिन हालात में उम्मीद से बेहतर सुधार हुआ है।