Sunday, November 24, 2024
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किसी इमरजेंसी में न हो तेल की कमी भारत कर रहा इसका ठोस इंतजाम, बनेगा पहला कॉमर्शियल क्रूड ऑयल स्टोरेज

सरकार ने देश में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार तैयार करने और उसके परिचालन के लिए विशेष इकाई इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि.(आईएसपीआरएल) का गठन किया है। भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: April 03, 2024 18:26 IST
भारत दुनिया का तीसरे सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है। - India TV Paisa
Photo:FILE भारत दुनिया का तीसरे सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है।

सरकार अब किसी इमरजेंसी की स्थिति में देश में कच्चे तेल की कमी न हो, इसके लिए एक बड़ी प्लानिंग कर रही है।  भारत कच्चे तेल का अपना पहला वाणिज्यिक रणनीतिक भंडारण बनाने की योजना बना रहा है। किसी भी इमरजेंसी में आपूर्ति बाधा से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। बता दें, भारत दुनिया का तीसरे सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है। भाषा की खबर के मुताबिक, बुधवार को मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार ने देश में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार तैयार करने और उसके परिचालन के लिए विशेष इकाई इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि.(आईएसपीआरएल) का गठन किया है।

भूमिगत भंडारण बनाने के लिए बोलियां आमंत्रित

खबर के मुताबिक, आईएसपीआरएल ने कर्नाटक के पादुर में 25 लाख टन भूमिगत भंडारण बनाने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। निविदा दस्तावेज से यह जानकारी मिली है। आईएसपीआरएल ने पहले चरण में तीन स्थानों पर 53.3 लाख टन का भंडारण बनाया था। ये तीन जगह आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम (13.3 लाख टन) कर्नाटक में मेंगलोर (15 लाख टन) और पादुर (25 लाख टन) हैं। तेल के भंडारण के लिए ये भूमिगत चट्टानी गुफाएं हैं।

दूसरे फेज के तहत, आईएसपीआरएल की पादुर-दो में 5,514 करोड़ रुपये की लागत से वाणिज्यिक सह रणनीतिक भूमिगत पेट्रोलियम भंडार तैयार करने की योजना है। इसमें जमीन के ऊपर संबंधित सुविधाएं भी शामिल है। इस निर्माण कार्य में 25 लाख टन कच्चा तेल के रणनीतिक भंडार के लिए एसपीएम (सिंगल पॉइंट मूरिंग) और संबद्ध पाइपलाइन (तट पर और अपतटीय) का निर्माण शामिल हैं। पहले चरण के तहत भंडारण का निर्माण सरकारी खर्च पर किया गया है।

निर्माण पीपीपी मॉडल में किया जाएगा

आईएसपीआरएल ने निविदा में कहा कि पादुर-दो का निर्माण पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल में किया जाएगा। इसमें निजी इकाइयां भंडारण का डिजाइन, निर्माण, वित्तपोषण और परिचालन करेंगी। बोलीदाताओं से कहा गया है कि वे भंडारण के निर्माण के लिए आवश्यक वित्तीय अनुदान या उस प्रीमियम/शुल्क का बताएं जो वे प्राधिकरण को देना चाहते हैं। निविदा दस्तावेज में कहा गया है कि यह परियोजना उन इकाइयों को दी जाएगी, जो अधिक प्रीमियम/शुल्क देंगे। जहां कोई भी बोली लगाने वाला प्रीमियम की पेशकश नहीं कर रहा है, यह सबसे कम अनुदान चाहने वाले को दी जाएगी।

तेल के इस्तेमाल पर पहला अधिकार देश का होगा

आईएसपीआरएल ने कहा कि परियोजना के लिए अनुदान की अधिकतम सीमा 3,308 करोड़ रुपये होगी। एक बोली लगाने वाला जो अनुदान चाहता है वह कोई प्रीमियम नहीं दे सकता है। पादुर-दो का संचालक तेल भंडारण की इच्छुक किसी भी तेल कंपनी को भंडारण क्षेत्र पट्टे पर देगा और उसके लिए शुल्क लेगा। तेल का भंडारण करने वाली कंपनियां इसे घरेलू रिफाइनरी कंपनियों को बेच सकती हैं। लेकिन आपात स्थिति में तेल के इस्तेमाल पर पहला अधिकार देश का होगा। दस्तावेज में कहा गया है कि बोलियां 22 अप्रैल तक जमा की जानी है और निविदा 27 जून तक प्रदान की जाएगी। आईएसपीआरएल पादुर-दो के लिए लगभग 215 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर रही है। भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है। ऐसे में आपूर्ति में व्यवधान या युद्ध जैसी किसी भी आपातकालीन स्थिति में रणनीतिक भंडार का उपयोग किया जा सकेगा।

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