दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश भारत ने पिछले दशक में पेट्रोल में जैव ईंधन मिलाकर 1.06 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाई है। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को यह बात कही। पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री ने सीआईआई बायोएनर्जी शिखर सम्मेलन में कहा कि गन्ने और अन्य बायोमास से निकाले गए इथेनॉल का पेट्रोल में मिश्रण 2014 के 1.53 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है।
लक्ष्य आगे बढ़ा दिया
खबर के मुताबिक, पुरी ने कहा कि इन परिणामों से उत्साहित होकर सरकार ने साल 2025 के लिए मिश्रण को 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य आगे बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि साल 2014 से अगस्त 2024 तक (पेट्रोल में) इथेनॉल मिश्रण से 1,06,072 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई है, 544 लाख टन CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड) उत्सर्जन में कमी आई है और 181 लाख टन कच्चे तेल का रिप्लेसमेंट हासिल हुआ है।
भारत जैव-गतिशीलता में अग्रणी बनेगा
सरकार ने सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य 2027 में 1 प्रतिशत और 2028 में 2 प्रतिशत मिश्रण करना है, जिससे भारत जैव-गतिशीलता में अग्रणी बन जाएगा। भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि देश अगले दो दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग का 25 प्रतिशत पूरा करेगा। जलवायु लक्ष्यों और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाते हुए इस मांग को पूरा करने में जैव ऊर्जा महत्वपूर्ण होगी।
जैव ऊर्जा बाजार बढ़ेगा जोरदार
मौजूदा समय में 44 अरब अमेरिकी डॉलर (वुड मैकेंजी के अनुसार) के मूल्य पर, मंत्री ने कहा कि जैव ऊर्जा बाजार 2050 तक 125 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। अगर वैश्विक शुद्ध-शून्य लक्ष्य प्राप्त किए जाते हैं, तो यह आंकड़ा 500 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ सकता है। भारत में 750 मिलियन टन से अधिक बायोमास उपलब्ध है, जिसमें से लगभग दो-तिहाई का उपयोग घरेलू उद्देश्यों जैसे कि पशु चारा और खाद उर्वरक के लिए किया जाता है।