Friday, November 22, 2024
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हाय महंगाई ! भारतीयों के सबसे पसंदीदा अनाज की कीमतों पर चढ़ेगा महंगाई का बुखार, खेतों से आ रही है ये बुरी खबर

सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: September 10, 2022 20:26 IST
RICE- India TV Paisa
Photo:FILE RICE

हर भारतीय की थाली में स्थान रखने वाला चावल अब महंगा होने की पूरी आशंका है। खरीफ फसलों को लेकर आ रही रिपोर्ट इसी ओर इशारा कर रही हैं। दरअसल कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस बार खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में गिरावट आने और चावल का उत्पादन 60-70 लाख टन कम रहने का अनुमान जताया गया है। 

सरकार ने लगाया निर्यात पर प्रतिबंध 

सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा सरकार ने निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का सीमा शुल्क भी लगा दिया है। हालांकि उसना चावल को इससे बाहर रखा गया है। 

सरकार ने बताया प्रतिबंध का कारण 

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि पिछले कुछ महीनों में बहुत बड़े पैमाने पर टूटे चावल की खेप बाहर भेजी जाती रही है। इसके अलावा पशु चारे के लिए भी समुचित मात्रा में टूटा चावल उपलब्ध नहीं है। इसका इस्तेमाल एथनॉल में मिलाने के लिए भी किया जाता है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया गया है।

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Image Source : FILE
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चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक

चीन के बाद चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर मौजूद भारत इस खाद्यान्न के वैश्विक व्यापार में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था जिसमें से 39.4 लाख टन बासमती किस्म का चावल था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से बृहस्पतिवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक, ’टूटे हुए चावल के लिए निर्यात नीति को मुक्त से संशोधित कर प्रतिबंधित कर दिया गया है। ’ यह अधिसूचना शुक्रवार से प्रभावी हो गयी है। 

5 प्रतिशत घटा धान का रकबा 

सरकार की तरफ से टूटे चावल के निर्यात पर रोक और गैर-बासमती चावल पर सीमा-शुल्क लगाने का फैसला असल में इस साल चावल उत्पादन कम रहने की आशंका का नतीजा है। कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, कुछ राज्यों में अच्छी बारिश नहीं होने से धान की बुवाई का रकबा 4.95 प्रतिशत घटकर 393.79 लाख हेक्टेयर रह गया है। वित्त वर्ष 2021-22 में देश में रिकॉर्ड 13.029 करोड़ टन का चावल उत्पादन हुआ था। 

80 प्रतिशत पैदावार खरीफ सत्र में

देश के कुल चावल उत्पादन में खरीफ सत्र की फसल का योगदान करीब 80 प्रतिशत होता है। खाद्य सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 38.9 लाख टन टूटे चावल का निर्यात किया था जो वर्ष 2018-19 के 12.2 लाख टन की तुलना में बहुत अधिक है। चीन ने पिछले वित्त वर्ष में 15.8 लाख टन टूटे चावल का आयात किया था। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में देश से टूटे हुए चावल का निर्यात 21.3 लाख टन हो गया है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 15.8 लाख टन रहा था। वहीं वित्त वर्ष 2018-19 की समान अवधि में यह सिर्फ 51,000 टन था। 

असामान्य रूप से बढ़ा निर्यात 

पांडे ने कहा, ’टूटे चावल के निर्यात में 42 गुना वृद्धि देखी गई है। यह न सिर्फ निर्यात में असामान्य वृद्धि है बल्कि यह काफी ज्यादा असामान्य है।’ उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में कुल चावल निर्यात में टूटे चावल का अनुपात बढ़कर 22.78 प्रतिशत हो गया है जो वित्त वर्ष 2019-20 की समान अवधि में सिर्फ 1.34 प्रतिशत पर था। खाद्य सचिव ने कहा कि उसना चावल को छोड़कर बाकी सभी गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने से घरेलू स्तर पर चावल की कीमतों को काबू करने में मदद मिलेगी। 

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