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2026 तक नॉनस्टॉप होगी भारत की तरक्की, फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट ने भारत की GDP ग्रोथ रेट को बढ़ाया

India's GDP: भारत हर मोर्चे पर विकास कर रहा है। देश में कम हो रही महंगाई के चलते फिच रेटिंग्स ने भी इंडिया की जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा दी है।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: June 22, 2023 18:08 IST
India's GDP- India TV Paisa
Photo:FILE India's GDP

India's GDP Growth Rate: रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फिच ने भारत की वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। जनवरी-मार्च की तिमाही में वृद्धि दर बेहतर रहने के मद्देनजर फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि के अनुमान को बढ़ाया है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी। वहीं 2021-22 में देश की अर्थव्यवस्था 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। रेटिंग एजेंसी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से मजबूत है। 2023 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह सालाना आधार पर 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। हाल के महीनों में वाहन बिक्री के आंकड़े बेहतर रहे हैं। इसके अलावा खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) सर्वे और ऋण की वृद्धि भी मजबूत रही है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष के लिए हमने वृद्धि दर के अनुमान को 0.3 प्रतिशत बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।

रेटिंग एजेंसी ने दी जानकारी

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि घरेलू मांग और शुद्ध व्यापार से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा। इससे पहले फिच ने मार्च में बढ़ती महंगाई और ब्याज दरें अधिक रहने तथा कमजोर वैश्विक मांग के मद्देनजर 2023-24 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 6.2 से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था। फिच ने कहा कि 2024-25 और 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि महंगाई नीचे आई है और घरेलू अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है। जनवरी-मार्च की तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से अधिक रही है। इसके अलावा दो तिमाहियों की गिरावट के बाद विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति भी सुधरी है। फिच ने कहा कि अर्थव्यवस्था को ऊंची बैंक लोन वृद्धि और बुनियादी ढांचा खर्च से भी समर्थन मिलेगा। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई, 2022 से रेपो दर में की गई ढाई प्रतिशत की वृद्धि का अभी पूरा असर देखने को नहीं मिला है। 2022 में महंगाई में तेज बढ़ोतरी की वजह से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति कम हुई थी और महामारी के दौरान परिवारों का बजट भी घटा था। 

भारत में महंगाई संतोषजनक

रिजर्व बैंक ने इस साल की शुरुआत से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। वहीं मुख्य महंगाई भी 7.8 प्रतिशत के उच्चस्तर से मई में 4.3 प्रतिशत पर आ गई है। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में है। रिजर्व बैंक को महंगाई को दो प्रतिशत घटबढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। मई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई भी सात साल के निचले स्तर शून्य से 3.48 प्रतिशत नीचे आ गई है। फिच ने कहा कि वृद्धि के और नीचे आने और महंगाई के दबाव कम होने से हमारा अनुमान है कि केंद्रीय बैंक अभी कुछ समय तक नीतिगत दर में बदलाव नहीं करेगा। हालांकि, इससे पहले फिच ने कहा था कि रिजर्व बैंक नीतिगत दर को एक बार और बढ़ाकर 6.75 प्रतिशत करेगा। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई मई में घटकर दो साल के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर आ गई है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली द्विमासिक बैठक आठ से 10 अगस्त को होगी। फिच ने कहा कि समय के साथ महंगाई में नरमी से भी उपभोक्ताओं को मदद मिलेगी। भारतीय परिवार अब भविष्य की आमदनी और रोजगार को लेकर अधिक आशान्वित हैं। इससे पहले मई में फिच ने भारत की सॉवरेज रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी पर कायम रखा था। वैश्विक गतिविधियों में सुधार के मद्देनजर फिच ने 2023 के लिए वैश्विक वृद्धि के अनुमान को भी बढ़ाकर 2.4 प्रतिशत कर दिया है। मार्च में वैश्विक वृद्धि दर दो प्रतिशत रहने का अनुमान था। 

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