दुनिया का दिग्गज संस्थान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर नया अनुमान लगाया है। अलर्ट करते हुए आईएमएफ ने कहा है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 2023 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 2024 में 7 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि कोविड के दौरान जमा हुई डिमांड खत्म हो गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से फिर से जुड़ रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, दुनिया की इकोनॉमी के बारे में, आईएमएफ ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई काफी हद तक जीत ली गई है, भले ही कुछ देशों में मूल्य दबाव बना हुआ है।
दुनिया की इकोनॉमी स्थिर रहेगी
खबर के मुताबिक, साल 2022 की तीसरी तिमाही में साल दर साल 9.4 प्रतिशत के टॉप पर पहुंचने के बाद, अब शीर्ष मुद्रास्फीति दर 2025 के आखिर तक 3.5 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जो साल 2000 और 2019 के बीच 3.6 प्रतिशत के औसत स्तर से नीचे है। वार्षिक विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि 2024 और 2025 में 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी, हालांकि कुछ देशों, विशेष रूप से कम आय वाले विकासशील देशों में वृद्धि में काफी गिरावट देखी गई है।
वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ घटेगा
विश्व आर्थिक परिदृश्य में आईएमएफ ने कहा कि लेटेस्ट आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी वृद्धि 2023-24 में 8.2 प्रतिशत से घटकर 6.5 से 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। फ्रांसीसी अर्थशास्त्री और आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति की प्रक्रिया के दौरान असामान्य रूप से लचीली बनी रही। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024 और 2025 में विकास दर 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है, लेकिन कुछ कम आय वाली और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि में काफी गिरावट देखी गई है, जो अक्सर बढ़ते संघर्षों से जुड़ी होती है।
दुनिया की बड़ा इकोनॉमी को लेकर क्या कहा
संयुक्त राज्य अमेरिका में विकास दर मजबूत है, जो इस वर्ष 2.8 प्रतिशत है, लेकिन 2025 में यह अपनी क्षमता की ओर वापस लौट आएगी। एडवांस यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए, अगले वर्ष मामूली वृद्धि की उम्मीद है, जिसमें उत्पादन क्षमता के करीब पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विकास का दृष्टिकोण बहुत स्थिर है, जो इस वर्ष और अगले वर्ष लगभग 4.2 प्रतिशत है, साथ ही उभरते एशिया से लगातार मजबूत प्रदर्शन हो रहा है। मुद्रास्फीति पर अच्छी खबरों के बावजूद, नकारात्मक जोखिम बढ़ रहे हैं और अब वे परिदृश्य पर हावी हो रहे हैं।