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India's GDP: देश की तरक्की की रफ्तार FY2024-25 में कितनी रहेगी? जानें नीति आयोग का लेटेस्ट अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jul 12, 2024 12:13 IST, Updated : Jul 12, 2024 12:13 IST
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि उम्मीद है कि हम आज से कई सालों तक सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की र
Photo:FILE नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि उम्मीद है कि हम आज से कई सालों तक सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की राह पर हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष 2024-25 में करीब सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और आने वाले कई सालों तक यही ग्रोथ रेट बरकरार रहने की संभावना है। यह बात नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने शुक्रवार को कही। विरमानी ने कहा कि देश के सामने नई चुनौतियां हैं और उनसे निपटना होगा। भाषा की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर (0.5 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ) से बढ़ेगी।

मुझे उम्मीद है कि हम आज से कई सालों तक सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की राह पर हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

वैश्विक महामारी के कारण बचत कम हुई

खबर के मुताबिक, निजी उपभोग व्यय में गत वित्त वर्ष 2023-24 में गिरावट के बारे में पूछे जाने पर विरमानी ने कहा कि वास्तव में अब इसमें सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के कारण बचत कम हुई। यह पिछले वित्तीय झटकों से बहुत अलग था। विरमानी ने कहा कि पिछले साल भी अल नीनो आया था, लेकिन वैश्विक महामारी के कारण लोगों को अपनी बचत निकालनी पड़ी। इसलिए स्वाभाविक कदम यह होना चाहिए कि फिर से बचत की जाए, जिसका मतलब है कि वर्तमान में खपत कम होगी।

एफडीआई में होगी बढ़ोतरी

विरमानी ने खपत में कमी को समझाते हुए कहा कि अगर आज लोग बड़े ब्रांड का सामान खरीद रहे हैं, तो वे सस्ते ब्रांड या साधारण सामान खरीदेंगे और पैसे बचाएंगे। भारत के सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के बावजूद देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में गिरावट के बारे में विरमानी ने कहा कि उभरते बाजारों की तुलना में अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में निवेश पर जोखिम रहित ‘रिटर्न’ कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि जैसे ही अमेरिका में ब्याज दरें कम होने लगेंगी, मुझे उम्मीद है कि भारत सहित उभरते बाजारों में एफडीआई बढ़ेगा।

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