हैदराबाद। दिग्गज विमान विनिर्माता एयरबस का मानना है कि भारत में विमानन परिदृश्य बेहतर होने से यहां पर अगले दो दशकों में 2,210 नए विमानों की जरूरत पड़ने वाली है। एयरबस के एयरलाइन विपणन प्रमुख (भारत एवं दक्षिण एशिया) ब्रेंट मैकब्रैटनी ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भारत में अगले दो दशकों में बड़ी संख्या में नए विमानों की जरूरत पैदा होगी। इनमें से 1,770 विमान छोटे आकार के होने चाहिए जबकि 440 विमान मध्यम एवं बड़े आकार वाले चाहिए।
मैकब्रैटनी ने कहा कि भारतीय विमानन परिदृश्य के विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए उसे वर्ष 2040 तक 34,000 अतिरिक्त पायलट और 45,000 तकनीकी स्टाफ की भी जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि भारत में हवाई परिवहन के अगले दो दशकों में 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।
हवाई यात्रियों को मिली बड़ी राहत
नागर विमानन मंत्रालय ने कोविड-19 संबंधी अंकुशों में ढील देते हुए चालक दल के सदस्यों के लिए पीपीई किट पहनने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा एयरलाइंस को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर ‘मेडिकल इमरजेंसी’ स्थिति के लिए तीन सीटों को खाली रखने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही हवाईअड्डे के सुरक्षाकर्मी अब यात्रियों की हाथ लगाकर सुरक्षा जांच कर सकेंगे। मंत्रालय के 21 मार्च के आदेश में कहा गया है कि ये अंकुश हवाई उड़ानों के सुगम परिचालन के लिए हटाए गए हैं। भारत का विमानन क्षेत्र ओमीक्रोन स्वरूप के मंद पड़ने के बाद पुनरुद्धार की राह पर है। फरवरी में घरेलू उड़ानों पर हवाई यात्रियों की संख्या 76.96 लाख रही, जो जनवरी से 20 प्रतिशत अधिक है। नागर विमानन मंत्रालय ने कहा कि ‘मेडिकल इमरजेंसी’ के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर अब तीन सीटें खाली रखने की जरूरत को समाप्त कर दिया गया है।