Highlights
- भारत डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस बना रहा है
- डेयरी क्षेत्र से जुड़े हर पशु को टैग किया जा रहा है
- पशुओं की बायोमेट्रिक पहचान की जा रही है
PM नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश में दूध का उत्पादन 2014 के 14.6 करोड़ टन से बढ़कर 21 करोड़ टन हो गया है, जो कि 44 फीसदी की वृद्धि है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन वल्र्ड डेयरी समिट 2022 का उद्घाटन करने के बाद गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर 2 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि की तुलना में भारत दूध उत्पादन में 6 प्रतिशत की वृद्धि देख रहा है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले 5-6 वर्षों में कृषि और डेयरी क्षेत्र में 1,000 से अधिक स्टार्टअप बनाए गए। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस बना रहा है और डेयरी क्षेत्र से जुड़े हर पशु को टैग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 'पशु आधार' योजना के तहत आधुनिक तकनीक की मदद से पशुओं की बायोमेट्रिक पहचान की जा रही है।
उत्पादन बढ़ाने पर सरकार का जोर
उन्होंने बताया कि सरकार एक ब्लैंच्ड डेयरी इकोसिस्टम विकसित करने पर काम कर रही है, जहां उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ-साथ सेक्टरों की चुनौतियों का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने बताया, "किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबों का सशक्तिकरण, स्वच्छता, रसायन मुक्त खेती, स्वच्छ ऊर्जा और मवेशियों की देखभाल इस पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी हुई है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के अन्य विकसित देशों के विपरीत, भारत में डेयरी क्षेत्र की प्रेरक शक्ति छोटे किसान हैं। उन्होंने कहा कि एक, दो या तीन मवेशियों वाले इन छोटे किसानों के प्रयासों के आधार पर भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। यह क्षेत्र देश में आठ करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान करता है।
सहकारी समितियों का एक विशाल नेटवर्क
उन्होंने दोहराया कि भारत में डेयरी सहकारी समितियों का एक विशाल नेटवर्क है और पूरी दुनिया में ऐसा उदाहरण कहीं और नहीं मिल सकता है। प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि ये डेयरी सहकारी समितियां देश के दो लाख से अधिक गांवों के करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध एकत्र करती हैं और ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि पूरी प्रक्रिया में कोई बिचौलिया नहीं है और ग्राहकों से मिलने वाला 70 फीसदी से ज्यादा पैसा सीधे किसानों की जेब में जाता है। उन्होंने डेयरी क्षेत्र में भुगतान की डिजिटल प्रणाली की दक्षता को रेखांकित करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में किसी और देश का यह अनुपात नहीं है। इससे अन्य देशों को कई सबक मिलते हैं।