भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मई में लगातार दूसरे महीने ग्रोथ रेट धीमी रही। लेकिन वैश्विक बिक्री यानी निर्यात में 13 वर्षों में सर्वाधिक वृद्धि के साथ यह सेक्टर विस्तार की स्थिति में बना रहा। सोमवार को जारी एक मंथली सर्वे में यह बात सामने आई है। मौसमी रूप से समायोजित 'एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक' (PMI) मई में घटकर 57.5 हो गया, जो अप्रैल में 58.8 था। मार्च में सूचकांक 16 वर्ष के उच्चतम स्तर 59.1 पर पहुंच गया था। एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है।
50 से ऊपर का आंकड़ा दिखाता है विस्तार
पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार होता है। जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है। एचएसबीसी की वैश्विक अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास ने कहा, ‘‘मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर मई में विस्तार के दायरे में रहा, यद्यपि इसकी गति धीमी रही, जिसका कारण नए ठेकों और उत्पादन में मंदी रही।’’
इस कारण धीमी है ग्रोथ
दास ने कहा कि मंदी का कारण भीषण गर्मी के बीच कामकाजी घंटों में कमी और उत्पादन लागत में वृद्धि बताया जा रहा है। सर्वे के अनुसार, प्रतिस्पर्धा और चुनाव संबंधी व्यवधानों के कारण ग्रोथ रुकी हुई है। कुल बिक्री के रुझान के विपरीत मई में नए निर्यात ठेकों में तीव्र गति से ग्रोथ हुई है। अंतरराष्ट्रीय बिक्री में यह उछाल 13 वर्षों में सबसे अधिक रहा, क्योंकि मैन्युफैक्चरर्स को अफ्रीका, एशिया, अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया के कई देशों में ग्राहकों से लाभ प्राप्त हुआ है। साथ ही मार्च 2005 में डेटा कलेक्शन शुरू होने के बाद से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई।