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भारत खाने की इन चाजों को खरीदने पर कर रहा रिकॉर्ड खर्च, केवल अक्टूबर में हुई 1.57 लाख करोड़ रुपये की खरीद

मंदी की चपेट में जूझती दुनिया के बीच भारत में महंगाई पर लगाम लगाई जा रही है। सरकार के शानदार नीतियों और मजबूत इरादों के बदौलत आज महंगाई दर कम हुआ है। इस बीच सरकार ने खाने की चीजों से जुड़े प्रोडक्ट की खरीद में भी बढ़ोतरी की है।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: November 14, 2022 22:05 IST
भारत खाने की इन चाजों को खरीदने पर कर रहा रिकॉर्ड खर्च- India TV Paisa
Photo:FILE भारत खाने की इन चाजों को खरीदने पर कर रहा रिकॉर्ड खर्च

आज खुदरा और थोक महंगाई का रेट जारी किया गया है, जो पिछले महीने की तुलना में काफी कम हुई है। इसका असर भारतीय बाजार पर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। इस बीच महंगाई कम करने के लिए सरकार के तरफ से खाद्य पदार्थों की खरीद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।

खाद्य तेल उद्योग निकाय एसईए ने सोमवार को यह जानकारी दी कि भारत का खाद्य तेलों के आयात पर खर्च अक्टूबर 2022 को समाप्त होने वाले तेल वर्ष में 34.18 प्रतिशत बढ़कर 1.57 लाख करोड़ रुपये हो गया है, इसे टन के हिसाब से देखा जाए तो यह 6.85 प्रतिशत बढ़कर 140.3 लाख टन हो गया है। 

तीसरी तिमाही में आयात हुआ कम

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार, दुनिया के प्रमुख वनस्पति तेल खरीदार देश भारत ने तेल वर्ष 2020-21 (नवंबर-अक्टूबर) में 1.17 लाख करोड़ रुपये का 131.3 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया था। पहली दो तिमाहियों के दौरान आयात धीरे-धीरे बढ़ा और तीसरी तिमाही में यह धीमा हो गया। हालांकि, इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल पर प्रतिबंध हटाने और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज गिरावट के कारण चौथी तिमाही में यह फिर से बढ़ गया, जब भारत से खरीद में बढ़ोतरी हुई। 

ये कारण पाम तेल की खरीदारी को किए प्रभावित

एसईए के अनुसार, इस साल पाम तेल की कीमतों में अधिक घटबढ़ ने भारत की पाम तेल की खरीदारी को प्रभावित किया। उसने कहा कि मार्च-अप्रैल में थोड़े समय के लिए पाम तेल हल्के तेलों जितना महंगा रहा। निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के इंडोनेशिया के फैसले से मई-जून में इसकी उपलब्धता और प्रभावित हुई थी। भारत की पाम तेल की खरीदारी गिर गई और हल्के तेल का आयात बढ़ गया। 

वर्ष 2021-22 के दौरान पाम तेल आयात घटा

एसईए ने बयान में कहा है कि वर्ष 2021-22 के दौरान पाम तेल आयात घटकर 79.15 लाख टन रह गया है जबकि इसके पिछले वर्ष 83.21 लाख टन का आयात किया गया था। हल्के तेल का आयात इस वर्ष पहले के 48.12 लाख टन से बढ़कर 61.15 लाख टन हो गया। एसईए ने कहा कि पाम तेल उत्पादों में आरबीडी पामोलिन का आयात 2021-22 में दोगुना से अधिक बढ़कर 18.41 लाख टन हो गया, जबकि पिछले वर्ष यह 6.86 लाख टन था। कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का आयात 74.91 लाख टन के मुकाबले 20 प्रतिशत घटकर 59.94 लाख टन रह गया, जबकि कच्चे पाम कर्नेल तेल (सीपीकेओ) का आयात उस अवधि में 1,43,000 टन से घटकर 80,000 टन रह गया। 

सोयाबिन तेल का आयात बढ़ा

एसईए ने बयान में कहा कि हल्के तेलों में सोयाबीन तेल का आयात इस साल तेजी से बढ़कर 41.71 लाख टन हो गया, जो वर्ष 2020-21 में 28.66 लाख टन था। इसी तरह, सूरजमुखी तेल का आयात इस साल मामूली बढ़कर 19.44 लाख टन हो गया, जो पिछले साल 18.94 लाख टन था। एक नवंबर तक देश में 24.55 लाख टन खाद्य तेलों का शुरुआती भंडार था। भारत को प्रतिमाह लगभग 19 लाख टन खाद्य तेल की जरूरत होती है और वर्तमान में यह स्टॉक 40 दिन का है। इंडोनेशिया और मलेशिया भारत को आरबीडी पामोलिन और सीपीओ के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश हैं।

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