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Explainer: भारत में मंदी को लेकर तस्वीर साफ, जानिए क्या कहते हैं ये पांच संकेत?

Recession in India: पूरी दुनिया मंदी की संकट को लेकर परेशान चल रही है। वहां की सरकारें तरह-तरह की नीतियां बना रही है ताकि आने वाली तबाही से नागरिकों को बचाया जा सके। वर्ल्ड बैंक ने भी 2023 की शुरुआत में मंदी आने को लेकर विश्व को आगाह किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत भी इसकी चपेट में आएगा?

Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: November 08, 2022 18:46 IST
भारत में मंदी को लेकर क्या कहते हैं ये पांच संकेत- India TV Paisa
Photo:INDIA TV भारत में मंदी को लेकर क्या कहते हैं ये पांच संकेत

Recession in India: भारत में मंदी आने जा रही है या नहीं? इस सवाल के जवाब में अलग-अलग मंचो से तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं। 15 सितंबर को जारी वर्ल्ड बैंक (World Bank) की एक रिपोर्ट में उसने विश्व को चेताया था कि दुनिया 2023 के शुरुआत में भयंकर मंदी की चपेट में आने जा रही है। हाल ही में भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर एक साथ कई संकट पैदा होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर हालत में है और इसकी वृद्धि की अच्छी रफ्तार बनी हुई है। 

वित्त मंत्री ने तस्वीर की साफ

भारत में मंदी आने की संभावना किसी भी दूसरे देश की मुकाबले कम है। इस समय भारत की विकास दर भी अच्छी है। चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत से सात प्रतिशत तक रहने का अनुमान है, जो 7.4 प्रतिशत की महंगाई दर को देखते हुए अच्छी मानी जा रही है। इसे लेकर पिछले महीने जब वित्त मंत्री से सवाल पूछा गया था तो उन्होनें कहा था कि पिछले दो साल से लगातार विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) जैसी एजेंसियां जहां दुनिया की खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। ऐसे में भारत के मंदी के दौर में जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।

रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन

देश की मजबूत कस्टमर डिमांड का पहला सबूत अक्टूबर माह के जीएसटी कलेक्शन के आंकड़ों से मिलता है। अक्टूबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (GST ) संग्रह ने अब तक का दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया है। अक्टूबर महीने में GST कलेक्शन 16.6 प्रतिशत बढ़कर 1.52 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। GST संग्रह अप्रैल में लगभग 1.68 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था। पिछले साल अक्टूबर में यह आंकड़ा 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक अक्टूबर 2022 में सकल जीएसटी संग्रह 1,51,718 करोड़ रुपये था। इसमें केंद्रीय GST 26,039 करोड़ रुपये, राज्य GST 33,396 करोड़ रुपये और एकीकृत GST की हिस्सेदारी 81,778 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्रित 37,297 करोड़ रुपये सहित) है। 

बाजार में नगदी पर्याप्त

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से पखवाड़े के आधार पर 4 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 21 अक्टूबर तक जनता के बीच चलन में मौजूद मुद्रा का स्तर बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा चार नवंबर 2016 को समाप्त पखवाड़े में 17.7 लाख करोड़ रुपये था। एक्सपर्ट हमेशा कहते हैं कि जब बाजार में कैश उपलब्ध होता है तब खरीद-बिक्री होती रहती है, जो अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद करती है।

शादी की सीजन के चलते बाजार में रहेगी रौनक

मंदी से जूझती दुनिया के बीच भारत के बाजारों में त्योहारी सीजन के चलते रौनक रही। छोटे से लेकर बड़े व्यापारी कोविड महामारी के बाद से पहली बार खुलकर अपना बिजनेस कर पाए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले धनतेरस के मौके पर 45 हजार करोड़ का बिजनेस हुआ। इस साल दिवाली पर हुए जोरदार कारोबार से उत्साहित दिल्ली समेत देश भर के व्यापारी अब शादी के सीजन में होने वाली खरीदारी के तैयारी में जुट गए हैं। यह 14 नवंबर से 14 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान लाखों की संख्या में शादियां होंगी और करोड़ो में पैसे खर्च किए जाएंगे। सीएआईटी रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस अवधि के दौरान देश भर में लगभग 32 लाख शादियां होंगी, जिसमें लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी और व्यवसाय में विभिन्न सेवाएं प्राप्त करना शामिल है।

मंदी से जूझती दुनिया के लिए भारत उम्मीद

पीएम मोदी को नोटबंदी की सलाह देने वाले अनिल बोकिल इंडिया टीवी को बताते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। यहां की जनसंख्या बहुत अधिक है। साथ ही अब भी काफी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। इसलिए यहां के उपभोक्ताओं में भूख भी बड़ी है। इस भूख का मतलब सिर्फ खाने से नहीं है, बल्कि कपड़े, दवाइयां, टेक्नॉलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सभी क्षेत्रों में यह भूख है। भारत की यही भूख दुनिया को संजीवनी दे सकती है। यहां 140 करोड़ की जनसंख्या है। पूरी दुनिया अपने सभी उत्पादों को भारत में बेच सकती है। क्योंकि यह इस वक्त का सीधा सा फंडा है कि जो देश विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, वही पूरी दुनिया मंदी को से उबार सकता है। 

क्यों आती है मंदी?

अनिल बोकिल कहते हैं कि दुनिया में मंदी केवल वहीं आती है, जहां कंजंप्शन(उपभोग करने वाले उपभोक्ता) नहीं हो। भारत में बहुत कंजंप्शन हो सकता है। यहां खर्चा करने के लिए बहुत कुछ है। स्वास्थ्य, शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विशाल पूंजी भी खप सकती है। यहां पूरी दुनिया का पैसा खर्च किया जा सकता है। आज जापान भारत को जीरो फीसद दर पर बुलेट ट्रेन इसलिए दे रहा है कि उनके यहां खर्च करने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वह नो प्रॉफिट नो लॉस पर दे रहा है। वहां कोई जगह नहीं है इसके कंजंप्शन की। इसलिए उसे कहीं न कहीं अपने पैसे को खर्च करके खुद को इंगेज रखना है। अपने लोगों को वेतन देना है। यही हाल दूसरे देशों का भी है। यदि उनके उत्पादों के लिए खरीददार मिलते रहें तो उनकी अर्थव्यवस्था को संजीवनी भी मिलती रहेगी। इस लिहाज से देखों तो भारत तो पूरा खाली पड़ा है। यानि यहां किसी भी क्षेत्र में जो देश चाहे वह पैसा खर्च सकता है। भारत में हर तरह के उपभोक्ता हैं। यही कारण है कि भारत में मंदी आने की संभावना काफी कम है।

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