Highlights
- ईंधन की मांग एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2022-23 में 5.5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है
- 2022-23 में ईंधन खपत बढ़कर 21.45 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है
- देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी जैसे ईंधन की खपत 21.41 करोड़ टन थी
नयी दिल्ली। भारत में भले जी पेट्रोल डीजल की कीमतों में आग लगी हो और तेल के दाम आसमान छू रहे हों, लेकिन फिर इसकी डिमांड में कोई कमी आती नहीं दिख रही है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के साथ देश में ईंधन की मांग एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2022-23 में 5.5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के अनुसार 2022-23 में ईंधन खपत बढ़कर 21.45 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है। मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्त वर्ष में इसके 20.32 करोड़ टन रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2019-20 में देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी जैसे ईंधन की खपत 21.41 करोड़ टन थी। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 4.9 प्रतिशत बढ़ी। अप्रैल-दिसंबर 2021 में ईंधन खपत 14.83 करोड़ टन रही।
करीब 20 करोड़ टन खपत
देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 2020-21 में 19.43 करोड़ टन थी। इस दौरान कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिये ‘लॉकडाउन’ लगाया गया, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई। पीपीएसी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोल की खपत 7.8 प्रतिशत बढ़कर 3.33 करोड़ टन रहने का अनुमान है। वहीं डीजल की बिक्री 3.9 प्रतिशत बढ़कर 7.93 करोड़ टन रहने की संभावना है। विमान ईंधन (एटीएफ) की खपत 2022-23 में 49 प्रतिशत बढ़कर 76 लाख टन रहने का अनुमान है। यह महामारी-पूर्व स्तर 80 लाख टन से कम है।
एलपीजी की भी बढ़ी मांग
रसोई गैस (एलपीजी) की मांग अगले वित्त वर्ष में 4.5 प्रतिशत बढ़कर 2.96 करोड़ टन रहने की संभावना है। पीपीएसी के मुताबिक, केरोसिन या मिट्टी के तेल की बिक्री 15 लाख टन पर स्थिर रहने जबकि नाफ्था की खपत 3.3 प्रतिशत बढ़कर 1.5 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है। पेटकोक की मांग 2.8 प्रतिशत बढ़कर 1.48 करोड़ टन पहुंच जाने की संभावना है। वहीं तारकोल की बिक्री 1.8 प्रतिशत बढ़कर 79 लाख टन रहने का अनुमान है।