वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण मूल्यांकन में बदलाव आना है। सीतारमण ने यहां अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक वित्त समिति (आईएमएफसी) को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 23 सितंबर 2022 तक 537.5 अरब डॉलर था जो अन्य समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर है। अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से मूल्यांकन में आए बदलाव ने इस भंडार में आई गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया है।’’ उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 4.6 अरब डॉलर का भुगतान संतुलन (बीओपी) आधार पर संचयन हुआ है। अन्य बाहरी संकेतकों में शुद्ध अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति और लघु अवधि का कर्ज भी कम संवेदनशीलता के सूचक हैं। उन्होंने कहा कि इस स्थिति के बावजूद भारत का बाहरी कर्ज और जीडीपी का अनुपात प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है।
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार 30 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 532.664 अरब डॉलर था। इस रिपोर्ट के मुताबिक कुल भंडार में प्रमुख हिस्सेदारी रखने वाले विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में कमी आना ही 30 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान भंडार में आई गिरावट की वजह है। सीतारमण ने कहा कि आयातित उच्च मुद्रास्फीति के दबाव घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति के भावी पथ के लिए अब भी जोखिम बना हुआ है। इसमें अमेरिकी डॉलर के लगातार महंगे होते जाने की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2022 से ही मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के ऊपरी सहिष्णुता स्तर से ऊपर बनी हुई है।
यूरोपीय संघ के आर्थिक आयुक्त से मुलाकात की
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में यूरोपीय संघ (ईयू) के आर्थिक आयुक्त पाउलो जेंतिलोनी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने मौजूदा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चर्चा की। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी। सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में भाग लेने के लिए वाशिंगटन पहुंची हैं। इसके इतर वह कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें कर रही हैं। मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार को हुई बैठक के दौरान सीतारमण और जेंतिलोनी ने 2023 में जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत-ईयू सहयोग मजबूत करने से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की, ताकि वे जरूरतमंद देशों की मदद कर सकें। अभी तक सीतारमण ने प्रमुख देशों के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें की हैं। उन्होंने बृहस्पतिार को जर्मनी के वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर से मुलाकात की थी।