भारत का विदेशी मुद्रा भंडार नये ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, 20 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.838 अरब डॉलर की वृद्धि हुई। इससे यह 13 सितंबर के 689.4 अरब डॉलर से बढ़कर 692.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों से पता चला कि विदेशी मुद्रा संपत्ति (foreign currency asset), जो विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ा हिस्सा रखती है, 20 सितंबर तक 2.057 अरब डॉलर बढ़कर 605.686 अरब डॉलर हो गई। यह 13 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 603.629 अरब डॉलर थी। हाल ही में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बड़ी कटौती करने से भी भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को सपोर्ट मिला है।
गोल्ड रिजर्व में हुआ इजाफा
RBI के आंकड़ों से यह भी पता चला कि देश के स्वर्ण भंडार में 726 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है। इससे यह 63.613 अरब डॉलर का हो गया। जबकि 13 सितंबर के आंकड़े में यह 62.887 अरब डॉलर का था। सोना भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
विशेष आहरण अधिकार
विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान देने वाले दो अन्य तत्व हैं: विशेष आहरण अधिकार (SDRs) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में आरक्षित स्थिति। RBI के आंकड़ों के अनुसार, 20 सितंबर तक SDRs में 121 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई। इससे ये 13 सितंबर के 18.419 अरब डॉलर के पिछले स्तर से बढ़कर 18.540 अरब डॉलर हो गए। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ भारत की आरक्षित स्थिति नवीनतम डेटा फाइलिंग के अनुसार 65 मिलियन डॉलर घटकर 4.458 अरब डॉलर रह गई है। यह पिछले सप्ताह के आंकड़े में 4.523 अरब डॉलर थी।
यह भी समझिए
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारतीय मुद्रा (भारतीय रुपया) में अस्थिरता को नियंत्रित रखने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करता है। RBI के हस्तक्षेप से विदेशी मुद्रा संपत्तियों में परिवर्तन होता है। साथ ही आरक्षित के रूप में रखी गई विदेशी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि और मूल्य ह्रास होता है।