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10 साल से भी कम समय में बदल गया भारत, अमेरिकी कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में दस बदलावों का जिक्र किया

रिपोर्ट कहती है कि भारत एक दशक से कम समय में बदल गया है। ‘‘यह भारत 2013 से अलग है। 10 साल के छोटे से अरसे में भारत ने दुनिया की व्यवस्था में स्थान बना लिया है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 31, 2023 15:02 IST
भारतीय अर्थव्यवस्था- India TV Paisa
Photo:AP भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत बदल गया है और आज विश्व व्यवस्था में एक स्थान हासिल करने की ओर है। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट में कहा है कि आज भारत एशिया और वैश्विक वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। रिपोर्ट कहती है कि भारत को लेकर संदेह, विशेषरूप से विदेशी निवेशकों के मामले में, 2014 के बाद से हुए उल्लेखनीय बदलावों को नजरअंदाज करने जैसा है। रिपोर्ट में इन आलोचनाओं को खारिज किया गया है कि दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने और पिछले 25 साल के दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजार के बावजूद भारत अपनी क्षमता के अनुरूप नतीजे नहीं दे सका है। 

भारत ने दुनिया की व्यवस्था में स्थान बना लिया

रिपोर्ट कहती है कि भारत एक दशक से कम समय में बदल गया है। ‘‘यह भारत 2013 से अलग है। 10 साल के छोटे से अरसे में भारत ने दुनिया की व्यवस्था में स्थान बना लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के पद संभालने के बाद 2014 से हुए 10 बड़े बदलावों का जिक्र करते हुए ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि भारत में कॉरपोरेट कर की दर को अन्य देशों के बराबर किया गया है। इसके अलावा बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके साथ ही माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह लगातार बढ़ रहा है। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत में डिजिटल लेनदेन बढ़ रहा है, जो अर्थव्यवस्था के संगठित होने का संकेत है। 

चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत 

चीन में कारखाना गतिविधियों में मई में गिरावट आई है। इससे यह संकेत मिलता है कि वायरस नियंत्रण उपायों के समाप्त होने के बाद चीन का आर्थिक पुनरुद्धार सुस्त पड़ा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय और एक उद्योग समूह द्वारा जारी मासिक खरीद प्रबंधक सूचकांक अप्रैल के 49.2 से गिरकर मई में 48.4 पर आ गया। इस सूचकांक के 50 से नीचे होने का मतलब सुस्ती से है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते वैश्विक मांग कमजोर पड़ने से चीनी विनिर्माताओं को चोट पहुंची है। घरेलू मोर्चे पर वायरस-रोधी अंकुश हटने के बाद चीन में यात्रा और कारोबारी गतिविधियां बढ़ी हैं। लेकिन इनमें सुधार की रफ्तार उम्मीद से कम है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर मार्च में समाप्त तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही है। इससे पिछली तिमाही में यह 2.9 प्रतिशत रही थी। सरकार के सालाना पांच प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आगामी तिमाहियों में इसमें बढ़ोतरी जरूरी है।

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