Digital Payment Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि डिजिटल सार्वजनिक संरचना (डीपीआई) ने भारत को टैक्सपेयर्स के पैसे का अधिकतम इस्तेमाल करने में सक्षम बनाने का काम किया है। सीतारमण ने सार्वजनिक इस्तेमाल वाली डिजिटल व्यवस्था की कार्यप्रणाली पर पेरिस में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत में सरकार सीधे नागरिकों के खातों में सरकारी लाभों को हस्तांरित करने में सक्षम है। ऐसा होने से टैक्सपेयर्स के पैसे का अधिकतम इस्तेमाल करने में मदद मिली है। भारत में डीपीआई ने सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने के साथ महिलाओं के लिए निर्धारित राशि का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित किया है। महिलाओं के कर्ज से संबंधित बैंक खातों का प्रदर्शन काफी अच्छा है।
उन्होंने कहा कि डीपीआई लागू होने के बाद सरकार सिर्फ एक राज्य में प्रत्यक्ष लाभ के जरिये एक लाख करोड़ रुपये की बचत करने में सफल रही। डीपीआई आने से सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे लाभ पहुंचाया जा रहा है और बीच में होने वाली चोरी कम करने में मदद मिली है। सीतारमण ने पेरिस यात्रा के दौरान इंडोनेशिया की वित्त मंत्री मूलानी इंद्रावती, जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्क कार्नी और डेनमार्क के विकास सहयोग मंत्री डैन जोर्गेन्सन के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। वित्त मंत्री ‘न्यू ग्लोबल फाइनेंसिंग’ समझौते पर पेरिस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये वहां गयी हुई हैं।
वित्त मंत्रालय ने दी जानकारी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को 21वीं सदी की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने में जी-20 के प्रयासों पर चर्चा की। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया कि सीतारमण ने ‘न्यू ग्लोबल फाइनेंसिंग पैक्ट’ पर पेरिस शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए 21वीं सदी की चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंक मॉडल विकसित करने पर एक गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। केंद्रीय मंत्री ने पूंजी पर्याप्तता ढांचे (सीएएफ) सुधारों पर भारत की अध्यक्षता में जी-20 और एमडीबी को सशक्त करने पर जी-20 विशेषज्ञ समूह के योगदान का भी जिक्र किया। मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा है, “वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 21वीं सदी की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए एमडीबी को सशक्त करने में जी-20 के प्रयासों पर चर्चा की। सीएएफ की अनुशंसाओं पर कार्य से बहुपक्षीय विकास बैंक अपने मौजूदा संसाधनों का अधिक प्रभावशाली रूप से उपयोग कर सकेंगी।” एक विशेषज्ञ समूह जांच कर रहा है कि विकासशील देशों को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने और गरीबी खत्म करने में मदद करने के लिए एमडीबी की ऋण देने की क्षमता को काफी हद तक कैसे बढ़ाया जा सकता है।