भारत की अर्थव्यवस्था ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बावजूद निरंतर खपत तथा निवेश मांग के समर्थन से पिछले साल मजबूत ग्रोथ दर्ज की है। भारत के आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने गुरुवार को वर्ल्ड बैंक समिति को बताया कि वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान, जिसे दूसरे अग्रिम अनुमान में 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया गया है, भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थायी ताकत तथा जुझारूपन को दर्शाता है।
लगातार 3 तिमाहियों में दर्ज की 8% की ग्रोथ
सेठ ने कहा, ‘भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 की लगातार तीन तिमाहियों में आठ फीसदी से अधिक की ग्रोथ दर्ज की है, जो सुस्त वैश्विक ग्रोथ रुझानों के बीच एक एक्सीलेंट परफॉर्मर के रूप में उसकी स्थिति की पुष्टि करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह की राय विभिन्न एजेंसियों द्वारा व्यक्त की गई है, जिन्होंने भारत के वित्त वर्ष 2023-24 के ग्रोथ अनुमान को आठ फीसदी के करीब संशोधित किया है। सतत विकास के रास्ते में सुधार और निवेश पर भारत का सक्रिय रुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक मानक स्थापित करता है।’’
पूंजीगत व्यय पर जोर से जारी रहा निजी निवेश
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की एक बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस बार आधिकारिक स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मौजूदा लोकसभा चुनाव के कारण इस वार्षिक सभा में हिस्सा नहीं ले रही हैं। सेठ ने विकास समिति को बताया कि पूंजीगत व्यय पर भारत के जोर से निजी निवेश जारी रहा। जिसके परिणामस्वरूप स्थिर कीमतों पर सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) में वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2023-24 में 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई।
डिजिटल लेनदेन रहा सबसे अधिक
सेठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि साल 2022 में वैश्विक लेनदेन में 46 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत का वैश्विक स्तर पर डिजिटल लेनदेन सबसे अधिक रहा। उन्होंने कहा कि मार्च 2024 में मासिक लेनदेन 13.44 अरब था, जिसकी कुल राशि 19,780 अरब रुपये हो गई। सेठ ने विकास समिति को बताया कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत की निरंतर वृद्धि के अनुरूप भारतीय पूंजी बाजार वित्त वर्ष 2023-24 में उभरते बाजारों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक बना हुआ है।