S&P Global Ratings: एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को भारत की जीडीपी वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत की वृद्धि दर सबसे अधिक होगी। घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के वृद्धि अनुमानों को अपरिवर्तित रखा गया है। पिछला वृद्धि दर अनुमान मार्च में घोषित किया गया था। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने एशिया-प्रशांत के लिए अपनी तिमाही आर्थिक समीक्षा में कहा है कि हमारा अनुमान है कि भारत, वियतनाम और फिलीपींस की वृद्धि दर लगभग छह प्रतिशत रहेगी। जबकि रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फिच ने भी भारत की वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
क्या है इसके पीछे का वजह?
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) लुइस कुइज ने कहा कि मध्यम अवधि के लिए वृद्धि अनुमान अपेक्षाकृत ठोस बना हुआ है। एशिया की उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं 2026 तक हमारे वैश्विक वृद्धि परिदृश्य में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बनी हुई हैं। एसएंडपी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 6.7 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है, और आरबीआई अगले साल की शुरुआत में ही ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सामान्य मानसून और कच्चे तेल की कीमतों में कमी के चलते मुद्रास्फीति नरम पड़ेगी। एसएंडपी ने 2023 के लिए चीन की वृद्धि दर का अनुमान 5.5 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है।
क्या कहती है इस एजेंसी की रिपोर्ट?
रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फिच ने भारत की वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। जनवरी-मार्च की तिमाही में वृद्धि दर बेहतर रहने के मद्देनजर फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि के अनुमान को बढ़ाया है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी। वहीं 2021-22 में देश की अर्थव्यवस्था 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। रेटिंग एजेंसी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापक रूप से मजबूत है। 2023 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह सालाना आधार पर 6.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। हाल के महीनों में वाहन बिक्री के आंकड़े बेहतर रहे हैं। इसके अलावा खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) सर्वे और ऋण की वृद्धि भी मजबूत रही है। इसके चलते चालू वित्त वर्ष के लिए हमने वृद्धि दर के अनुमान को 0.3 प्रतिशत बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।