Monday, October 07, 2024
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इनकम टैक्स पेयर्स को मिलेगी बड़ी राहत, सरकार ने इन मुद्दों पर लोगों से मांगे सुझाव

लोग अपना सुझाव लेने के लिए ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक वेबपेज शुरू किया गया है। लोग अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर और ओटीपी के माध्यम से इसपर जा सकते हैं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: October 07, 2024 18:20 IST
Income Tax - India TV Paisa
Photo:FILE इनकम टैक्स

इनकम टैक्स पेयर्स को आने वाले दिनों में बड़ी राहत मिलने वाली है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सोमवार को छह दशक पुराने आयकर (आईटी) अधिनियम की समीक्षा के लिए लोगों से सुझाव आमंत्रित किए। आयकर कानून की भाषा को सरल बनाने, कानूनी विवाद और अनुपालन (कंप्लायंस) में कमी तथा पुराने पड़ चुके प्रावधानों को लेकर सुझाव आमंत्रित किये गये हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस संदर्भ में समीक्षा पर नजर रखने और अधिनियम को संक्षिप्त रूप देने, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था। इससे विवादों के कम होने तथा करदाता कर को लेकर निश्चिंत हो सकेंगे। 

चार श्रेणियों में सुझाव मांगे 

सीबीडीटी ने कहा, समिति ने चार श्रेणियों में सार्वजनिक टिप्प्णियां और सुझाव आमंत्रित किए हैं। ये श्रेणियां हैं, भाषा का सरलीकरण, कानूनी विवाद और अनुपालन में कमी तथा अनावश्यक/पुराने पड़ चुके प्रावधान।’’ ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक वेबपेज शुरू किया गया है। लोग अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर और ओटीपी के माध्यम से इसपर जा सकते हैं। वित्त मंत्री ने जुलाई में पेश 2024-25 के बजट में आईटी कानून की समीक्षा छह महीने में पूरी करने का प्रस्ताव किया था। छह महीने की समयसीमा जनवरी, 2025 में समाप्त हो रही है। ऐसे में संशोधित आयकर अधिनियम के संसद के बजट सत्र में लाये जाने की उम्मीद है। 

बजट में किया गया था ऐलान 

केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया था कि सरकार करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी कम करने के दिशा में काम करेगी। उन्होंने कहा था कि आयकर अधिनियम, 1961 की अगले छह महीने में अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाने के लिए व्यापक समीक्षा की जाएगी। इससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी जिससे करदाताओं को कर में निश्चितता प्राप्त होगी।

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