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पिछले 3 वर्षो में 42 फीसदी भारतीयों हुए वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Online Payment: भुगतान और बैंकिंग के डिजिटलीकरण से निस्संदेह आम लोगों और सरकार दोनों को लाभ हुआ है, लेकिन इससे वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ रही है।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: August 04, 2022 18:57 IST
पिछले 3 वर्षो में 42...- India TV Paisa
Photo:PTI/REPRESENTATIVE पिछले 3 वर्षो में 42 फीसदी भारतीय हुए शिकार

Online Payment: भुगतान और बैंकिंग के डिजिटलीकरण से निस्संदेह आम लोगों और सरकार दोनों को लाभ हुआ है, लेकिन इससे वित्तीय धोखाधड़ी बढ़ रही है। पिछले तीन वर्षों में लगभग 42 प्रतिशत भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। गुरुवार को एक नई रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकलसर्किल द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षो में, बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण अपना पैसा गंवाने वालों में से केवल 17 प्रतिशत ही अपना धन वापस पाने में सक्षम रहे, जबकि 74 प्रतिशत को कोई समाधान नहीं मिला है।

पहले के एक सर्वेक्षण में लोकलसर्किल ने खुलासा किया कि 29 प्रतिशत नागरिक अपने एटीएम या डेबिट कार्ड पिन विवरण करीबी परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं, जबकि 4 प्रतिशत इसे अपने घरेलू और कार्यालय कर्मचारियों के साथ साझा करते हैं।

11 फीसदी लोग मोबाइल में रखते हैं सेव

सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 33 प्रतिशत नागरिक अपने बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड और एटीएम पासवर्ड, आधार और पैन नंबर ईमेल या कंप्यूटर पर संग्रहीत करते हैं, जबकि 11 प्रतिशत नागरिकों ने इन विवरणों को अपने मोबाइल फोन संपर्क सूची में संग्रहीत किया है। नए सर्वेक्षण से पता चला है कि बैंक खाता धोखाधड़ी, ई-कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा धोखाधड़ी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी समस्या के प्रमुख कारण थे।

फोन में जरूरी जानकारी रखना खतरनाक

फोन की संपर्क सूची, ईमेल या कंप्यूटर पर संवेदनशील वित्तीय विवरण संग्रहीत करना साइबर हमलों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करता है, खासकर अगर गैजेट चोरी हो जाता है या गलत हाथों में पड़ जाता है।

बैंकिंग पासवर्ड और एटीएम, बैंक खाते, ईमेल आदि के विवरण को स्टोर करने के लिए स्मार्टफोन की एक संपर्क सूची का उपयोग करना, ऐसी संवेदनशील जानकारी/क्रेडेंशियल्स को स्टोर करने का एक बहुत ही असुरक्षित तरीका है क्योंकि आजकल ऑनलाइन ऐप किसी के संपर्क और संदेशों तक पहुंचने की अनुमति मांगते हैं। सर्वेक्षण में भारत के 301 जिलों के नागरिकों से लगभग 32,000 प्रतिक्रियाएं शामिल थीं।

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