डिजिटल अरेस्ट, लोगों के बीच यह शब्द इस समय काफी चर्चा का विषय है। यह साइबर फ्रॉड का एक तरीका है। इसमें ठग पुलिस या सरकारी अधिकारी बन कॉल करते हैं और फिर वीडियो पर बंधक बनाकर आपका अकाउंट खाली कर देते हैं। इसमें सबसे पहले लोगों के पास एक कॉल या ईमेल आता है। कॉल या ईमेल करने वाला खुद को पुलिस या सरकारी विभाग का अधिकारी बताता है। वह कहता है कि आपके खिलाफ जांच चल रही है आप वीडियो कॉल से हमसे कनेक्ट करें। फिर वह वीडियो पर कहता है कि आपको अरेस्ट कर लिया गया है। वीडियो में फ्रॉड करने वाला वर्दी में भी हो सकता है। वह पीड़ित को कई घंटों तक धमकाता है। धीरे-धीरे वह आपसे बैंक, यूपीआई, ओटीपी आदि मांगता है और आपकी सारी जमापूंजी हड़प लेता है। यह सबकुछ ऑनलाइन होता है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और एडवोकेट प्रिया सांखला ने इंडिया टीवी से बातचीत में डिजिटल अरेस्ट से बचने के कुछ टिप्स दिये हैं। आइए जानते हैं।
- कोई भी सरकारी अधिकारी जो लीगल या प्रशासन से संबंधित है, किसी भी परिस्थिति में व्हाट्सएप पर कॉल या वीडियो कॉल नहीं करता है।
- पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति के खिलाफ लीगल एक्शन लेने से पूर्व उसे एक नोटिस भेजता है, जो डाक के द्वारा ही भेजा जाता है। ईमेल पर या व्हाट्सएप पर नहीं भेजा जाएगा।
- कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। क्राइम करने पर असली वाली गिरफ्तारी होती है।
- कोर्ट की कार्रवाई इन दिनों ऑनलाइन होती है, पर उस कोर्ट की कार्रवाई का एक्सेस सिर्फ अधिवक्ता को होता है। सीधे कोर्ट किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन हो रही कार्रवाई में अधिवक्ता के बिना सम्मिलित नहीं करती।
- किसी भी व्यक्ति को अपनी जिंदगी सोशल मीडिया पर सीमित रूप से ही शेयर करनी चाहिए।
- अगर कोई कॉल पर आपको कानूनी धमकी दे या फिर कुछ ऐसी जानकारी बताएं, जो आपसे संबंधित हो और उसे कानूनी रूप से गलत बताए या अरेस्ट होने का प्रावधान समझाएं तो कॉल को कट करें। यदि संभव हो तो नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम में उस नंबर के खिलाफ कंप्लेंट दर्ज करें।
- जहां तक संभव हो अननॉन नंबर के द्वारा आए गए वीडियो कॉल को ना उठाएं।
- कस्टम ड्यूटी ऑफिसर, इनकम टैक्स ऑफिसर और फूड इंस्पेक्टर किसी भी तरह का सर्वे या जांच के लिए भी किसी भी व्यापारी को या किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन स्काइप, व्हाट्सएप, टेलीग्राम पर वीडियो कॉल नहीं करते। अधिकारी द्वारा वीडियो कॉल या कॉल करके किसी भी व्यक्ति से जानकारी लेना सरकारी नियम के खिलाफ होता है। कोई भी कार्रवाई डिजिटल रूप में पूर्ण नहीं की जाती।