भारतीय कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर कामकाज की अच्छी संस्कृति चाहते हैं। ज्यादातर भारतीयों का मानना है कि अगर कार्यस्थल पर काम करने की संस्कृति अच्छी हो तो वह नौकरी बदलने की नहीं सोचते हैं। कार्यस्थल संस्कृति के मामले में भारत अग्रणी देश के रूप में उभरा है। ज्यादातर श्रमिक सकारात्मक संगठनात्मक संस्कृति को अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्राथमिक कारक मानते हैं । एसएचआरएम द्वारा जारी एक शोध रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
रिसर्च रिपोर्ट में दुनियाभर के 11,080 प्रतिभागी शामिल
खबर के मुताबिक, नई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अगर कार्यस्थल पर कामकाज की संस्कृति अच्छी हो, तो 64 प्रतिशत कर्मचारियों के रुकने की संभावना है, जो वैश्विक औसत 37 प्रतिशत से कहीं अधिक है। रिपोर्ट में दुनियाभर के 11,080 प्रतिभागियों में भारत से 1,000 प्रतिक्रियाएं आई हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि कर्मचारी रोकने वाले प्रमुख कारकों में अनुकूल संगठनात्मक संस्कृति, नौकरी की सुरक्षा और निष्पक्ष व्यवहार शामिल हैं।
कर्मचारी देते हैं इन बातों को रेटिंग
एसएचआरएम इंडिया, एपीएसी एंड एमईएनए के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अचल खन्ना ने कहा कि विशेष रूप से भारत में, आंकड़ों एक उल्लेखनीय ट्रेंड पता चली है कि बड़ी संख्या में कर्मचारी सभी पांच आयामों-सम्मानजनक कार्यस्थल संवाद, अच्छा प्रबंधक संचार, कार्य/जीवन सामन्जस्य, करियर पूर्ति और न्यायसंगत नेतृत्व प्रक्रिया में उच्च रेटिंग देते हैं। शोध रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 और 2023 में आर्थिक उथल-पुथल, बढ़ती मुद्रास्फीति और सप्लाई चेन व्यवधानों के बावजूद भारत में कार्यस्थल संस्कृति की धारणाएं सकारात्मक बनी हुई हैं।
AI से प्रोडक्टिविटी में सुधार होगा
पीडब्ल्यूसी के एक नए सर्वे में यह कहा गया है कि 51 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उन्हें काम पर प्रोडक्टिविटी में सुधार करने में मदद करेगा। भारत का औसत ग्लोबल औसत से ज्यादा है। सर्वे में यह भी बताया गया है कि 62 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि उनकी नौकरियों के लिए जरूरी स्किल अगले पांच सालों में बदल जाएगी। ग्लोबल लेवल पर इस बात को मानने वाले 36 प्रतिशत हैं।