आयकर विभाग ने कंपनी की ओर से कर्मियों को दिए गए किराया-रहित आवास का मूल्यांकन करने के लिए नियम बदल दिए हैं। इससे अच्छा वेतन पाने वाले और नियोक्ता कंपनी की ओर से मिलने किराया-रहित आवास में रहने वाले कर्मी अब और ज्यादा बचत कर सकेंगे और वेतन के तौर पर वह ज्यादा नकदी ले सकेंगे। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर नियमों में संशोधन किया है। ये नियम एक सितंबर से प्रभावी हो जाएंगे।
अधिसूचना के अनुसार, जहां केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारियों के अलावा अन्य कर्मचारियों को सिर्फ आवास (अनफर्निश्ड) प्रदान किया जाता है और ऐसा आवास नियोक्ता के स्वामित्व में है, तो मूल्यांकन होगा- 2011 की जनगणना के अनुसार 40 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में वेतन का 10 प्रतिशत (15 प्रतिशत से कम)। पहले यह नियम 2001 की जनगणना के अनुसार 25 लाख से अधिक आबादी के लिए था। 2011 की जनगणना के अनुसार 15 लाख से अधिक लेकिन 40 लाख से कम आबादी वाले शहरों में वेतन का 7.5 प्रतिशत (10 प्रतिशत से कम)।
पहले यह 2001 की जनगणना के अनुसार 10 लाख से अधिक लेकिन 25 लाख से अधिक नहीं था। एकेएम ग्लोबल टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि जो कर्मचारी पर्याप्त वेतन प्राप्त कर रहे हैं और नियोक्ता से आवास प्राप्त कर रहे हैं, वे अधिक बचत कर सकेंगे क्योंकि संशोधित दरों के साथ उनका कर योग्य आधार अब कम होने जा रहा है।
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गौरव मोहन ने कहा कि इन प्रावधानों में 2011 की जनगणना के आंकड़ों को शामिल किया गया है और इसका उद्देश्य अनुलाभ मूल्य गणना को तर्कसंगत बनाना है। मोहन ने कहा, “किराया-मुक्त आवास का लाभ लेने वाले कर्मियों के कर योग्य वेतन में कमी आएगी, जिससे घर ले जाने वाले शुद्ध वेतन में वृद्धि होगी।”