भारत की ऐसी उम्मीद है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और प्रगतिशील बने तथा भिन्न राय रखने वाले देशों को भी महत्व दे। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अमेरिका में कहा कि जो देश अलग राय रखते हैं, डब्ल्यूटीओ को उन्हें अपनी बात रखने के पूरे मौके देना चाहिए। सीतारमण ने अमेरिका के विचार समूह ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि डब्ल्यूटीओ और अधिक प्रगतिशील बने, सभी देशों की बात सुने और सभी के प्रति निष्पक्ष रहे।’’
सभी देशों की बातें सुनना जरूरी
उन्होंने आगे कहा, ‘‘वर्ष 2014 से 2017 के बीच भारत की वाणिज्य मंत्री रहने के दौरान मैंने डब्ल्यूटीओ के साथ कुछ वक्त बिताया। इससे उन देशों की राय सुनने का अधिक मौका मिला जो कुछ अलग कहना चाहते थे।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘अमेरिका की वाणिज्य मंत्री कैथरीन तई के शब्दों को याद करना उपयोगी होगा, जो उन्होंने हाल में कहे थे। परंपरागत व्यापार के तौर-तरीके वास्तव में क्या हैं, बाजार का उदारीकरण सही मायनों में क्या है? शुल्क में कटौती के लिहाज से इसका मतलब क्या होगा?’’
बाजार का उदारीकरण किस हद तक होना चाहिए
उन्होंने आगे कहा, ‘‘यह वह समय है जब देश इस बात पर विचार कर रहे हैं कि बाजार का उदारीकरण किस हद तक होना चाहिए। अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर लागत के लिहाज से इसके दुष्प्रभाव पड़े हैं और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने भी ठीक यही कहा था। जो उन्होंने महसूस किया, वही मैंने 2014 और 2015 में महसूस किया था। हालांकि मेरी बात को वैश्विक मीडिया में यह जगह नहीं मिली थी। कई कम विकसित देश जिन्हें वैश्विक दक्षिण देश (लातिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और ओशेनिया) कहा जाता है, वे भी यही मानते हैं।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘यह वास्तव में क्या है? उदारीकरण की हद क्या है? शुल्क कटौती कितनी होनी चाहिए? भारत कम विकसित देशों यानी ‘वैश्विक दक्षिण’ के लिए यह कर रहा है। भारत की सबसे कम विकसित देशों के लिए कोटा मुक्त, शुल्क मुक्त व्यापार नीति है। इसलिए ये देश जो आकांक्षी हैं लेकिन कम आय वर्ग वाले हैं वे भारत को इन पाबंदियों के बिना निर्यात कर सकते हैं।’’
भारत का ध्यान अब लोगों को कुशल बनाने, डिजिटलीकरण पर
निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश के सारे लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के अपने लक्ष्य को भारत ने लगभग पा लिया है और अब ध्यान उन्हें कुशल बनाने और डिजिटलीकरण पर है जिससे जीवनयापन में सुगमता तथा पारदर्शिता आ सके। सीतारमण ने अमेरिका के विचार समूह ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में कहा कि सरकार गरीब लोगों को मूलभूत सुविधाएं देकर सशक्त बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी सुविधाएं देने के लिहाज से हमने अपने लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार देश के गरीबों को अनेक सुविधाएं देना चाहती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि उन्हें रहने के लिए पक्के घर दिए जाएं, पाइप के जरिए पेयजल उन तक पहुंचे, बिजली हो, अच्छी सड़कें हो। वित्त मंत्री ने कहा कि अब ध्यान लोगों को कुशल बनाने पर है। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम लोगों को कुशल बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। कौशल केंद्र अब देशभर में हैं। कौशल का स्तर हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। इससे व्यापारों और निजी क्षेत्र के उद्यमियों को भी जोड़ा जा रहा है ताकि जो लोग प्रशिक्षण पा रहे हैं और व्यवसाय जिस तरह के प्रशिक्षित लोग चाहते हैं उनके बीच संपर्क बन सके।’’