रिलायंस कैपिटल को खरीदने की दौड़ में हिंदुजा समूह सबसे बड़ा बोली दाता बनकर उभरी है। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया है कि कई उतार-चढ़ाव के बाद हिंदुजा समूह की एक कंपनी बुधवार को दूसरे दौर में कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल को लेने के लिए 9,650 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी। इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल) की बोली पिछले साल दिसंबर में आयोजित नीलामी के पहले दौर में टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स द्वारा की गई 8,640 करोड़ रुपये की पेशकश से अधिक है।
टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स और ओकट्री ने हिस्सा नहीं लिया।
सूत्रों ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि अन्य दो दावेदारों- टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स और ओकट्री ने दूसरे दौर की नीलामी में हिस्सा नहीं लिया। लेनदारों की समिति (सीओसी) ने पहले दौर के लिए 9,500 करोड़ रुपये और दूसरे दौर के लिए 10,000 करोड़ रुपये की न्यूनतम बोली राशि निर्धारित की थी, बाद के दौरों के लिए अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये तय की थी।
समाधान प्रक्रिया की समयसीमा 16 जुलाई तक बढ़ाई गई
आपको बता दें कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की समयसीमा तीन महीने बढ़ाकर 16 जुलाई कर दी है। गौरतलब है कि कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल (आरकैप) के कर्जदाता नीलामी का दूसरा चरण आयोजित करने पर सहमत हुए हैं। पिछली समयसीमा 16 अप्रैल को खत्म हो चुकी है। सूत्रों ने कहा कि 90 दिनों की समयसीमा बढ़ाने की जरूरत थी, क्योंकि कर्जदाताओं ने 26 अप्रैल को दूसरे दौर की नीलामी आयोजित करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, जिन बोलीदाताओं ने नीलामी के दूसरे दौर में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है, उनमें हिंदुजा समूह की इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल), टोरेंट इंवेस्टमेंट और सिंगापुर स्थित ओकट्री शामिल हैं। इससे पहले दूसरे दौर की नीलामी 11 अप्रैल को होनी थी, लेकिन बोलीदाताओं द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए इसे 26 अप्रैल के लिए टाल दिया गया। सूत्रों ने कहा कि बोलीदाताओं ने रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि दूसरे दौर की नीलामी पूरी होने के बाद आगे कोई बातचीत नहीं होगी और इसके बाद समाधान प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा। आरकैप की समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की समयसीमा पहले भी कई बार बढ़ाई जा चुकी है। बोलीदाताओं की प्रमुख चिंता दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (आईबीसी) और समाधान योजना के लिए अनुरोध (आरएफआरपी) दिशानिर्देशों के अनुसार प्रक्रिया को पूरा करने को लेकर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नीलामी के पहले दौर में हिंदुजा समूह की कंपनी की बोली नीलामी के बाद जमा की गई थी। गत दिसंबर में हुई पहले दौर की नीलामी में टॉरेंट ने सर्वाधिक 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी।