Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. Education Loan: एजुकेशन लोन देने में बैंक क्यों कर रहे हैं आना-कानी? लेटलतीफी से छात्रों के छूट रहे हैं पसीने

Education Loan: एजुकेशन लोन देने में बैंक क्यों कर रहे हैं आना-कानी? लेटलतीफी से छात्रों के छूट रहे हैं पसीने

जून 2022 में प्रकाशित इस पत्र में कहा गया कि भारत में करीब 90 फीसदी शिक्षा ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देते हैं।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: September 25, 2022 18:43 IST
Education loan- India TV Paisa
Photo:FILE Education loan

Education Loan: एजुकेशन लोन ने पहले से ही बढ़ते एनपीए से परेशान देश के बैंकों की टेंशन को और बढ़ा दिया है। एजुकेशन लोन की वापसी में बैकों के पसीने छूट रही है। बैंकों की टेंशन की गवाही हाल में आए एनपीए के आंकड़े बयां कर रहे हैं। एजुकेशन लोन पोर्टफोलियो में चूक की दर करीब आठ प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। इस ऊंची दर को देखते हुए बैंक अब सतर्क हो गए हैं और इस तरह के कर्ज की मंजूरी में विशेष सावधानी बरत रहे हैं। 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों समेत अन्य बैंकों की शिक्षा ऋण श्रेणी में नॉन पर्फोर्मेंस असेट (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही के अंत में 7.82 फीसदी थीं। जून महीने के अंत तक बकाया शिक्षा ऋण करीब 80,000 करोड़ रुपये था। 

बैंकों की सख्ती से छात्रों की बढ़ी परेशानी

सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उच्च एनपीए की वजह से शिक्षा कर्ज की मंजूरी देने में शाखाओं के स्तर पर सतर्कता भरा रवैया अपनाया जा रहा है। इसकी वजह से वास्तविक मामले नजरंदाज हो जाते हैं और इनमें विलंब भी होता है। वित्त मंत्रालय ने शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो का जायजा लेने के लिए हाल में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैठक बुलाई थी। 

रिजर्व बैंक ने जताई चिंता 

आरबीआई के एक पत्र में कहा गया कि भारत में वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए गए शिक्षा कर्ज के एनपीए में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि हुई है जो चिंता का विषय है और देश में उच्च शिक्षा के लिए बैंकों द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में वृद्धि प्रभावित हो सकती है। जून 2022 में प्रकाशित इस पत्र में कहा गया कि भारत में करीब 90 फीसदी शिक्षा ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देते हैं। मार्च 2020 तक शिक्षा ऋण के कुल बकाया में निजी क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी करीब सात फीसदी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की तीन फीसदी है। 

82000 करोड़ के पार पहुंचा बकाया 

रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 तक सभी बैंकों का शिक्षा ऋण बकाया मिलाकर कुल 78,823 करोड़ रुपये था जो 25 मार्च 2022 तक बढ़कर 82,723 करोड़ रुपये हो गया। रिसर्जेंट इंडिया में प्रबंध निदेशक ज्योति प्रकाश गादिया ने बताया कि कॉलेजों से निकलने वाले स्नातकों की संख्या नए रोजगार सृजन की तुलना में कहीं अधिक है जिसकी वजह से शिक्षा ऋणों का समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement