Health Education budget 2023: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आजादी के अमृतकाल का बजट पेश किया है। बजट में उन्होंने कई अहम घोषणाएं की हैं। इनमें एक सबसे खास बच्चों की बीमारियों से जुड़ी है। देश बच्चों के कुपोषण की समस्या से लगातार जूझ रहा है। ऐसे में बच्चों में रक्त अल्पता सबसे अहम समस्या है। खून की कमी और कुपोषण के कारण कई बच्चों की दूरदराज के गांवों में तो मौत भी हो जाती है। केंद्र सरकार ने बच्चों में खून की कमी से होने वाली परेशानियों और मौतों के प्रति गंभीरता बरतते हुए यह घोषणा की है कि वर्ष 2047 तक यानी भारत की आजादी के 100वें वर्ष तक देश के बच्चों में खून की कमी की समस्या से निजात दिलाई जाएगी।
नर्सिंग को बढ़ावा देने के प्रति भी केंद्र सरकार दृढ़ संकल्पित है। बजट प्रस्तुत करते हुए निर्मला सीतारमण ने यह घोषणा भी की है कि देश में इस वित्त वर्ष में 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जाएंगे। साथ ही टीचर्स की स्किल्स बढ़ सके, इसके लिए नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी खोलने की घोषणा भी की गई। निर्मला सीतारमन ने कहा कि टीचर्स ट्रेनिंग के लिए संस्थान खोले जाएंगे। वहीं आदिवासियों में शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के लिए आदिवासियों के लिए विशेष स्कूल खोले जाएंगे। इसके लिए 15 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई।
2021-22 की तुलना में 2022-23 में खर्च बढ़ा
निर्मला सीतारमण ने बजट 2022-23 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) को 86,200 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो 2021-22 में 73,931 करोड़ रुपये से 16 प्रतिशत अधिक है, साथ ही सरकार ने नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम की भी घोषणा की और नेशनल डिजिटल के लिए एक ओपन प्लेटफॉर्म की शुरुआत की थी।