भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि महंगाई को कंट्रोल में लाने का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। नीतिगत मोर्चे पर जल्दबाजी में उठाया गया कोई भी कदम कीमत के मोर्चे पर अबतक जो सफलता हासिल की गई है, उसपर विपरीत असर डाल सकता है। भाषा की खबर के मुताबिक, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा जारी करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर ने यह बात कही।
मौद्रिक नीति का रुख सतर्क होना चाहिए
खबर के मुताबिक, गवर्नर ने कहा कि मौजूदा समय में मौद्रिक नीति का रुख सतर्क होना चाहिए और यह नहीं मानना चाहिए कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर हमारा काम खत्म हो गया है। मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर एमपीसी की बैठक इस महीने छह से आठ तारीख को हुई थी। दास ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान करते समय यह टिप्पणी की।
मूल्य और वित्तीय स्थिरता जरूरी
एमपीसी की बैठक के ब्योरे के मुताबिक, बाजार नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद को लेकर आगे है, लेकिन इस समय जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। लंबे समय तक हाई ग्रोथ को बनाए रखने के लिए मूल्य और वित्तीय स्थिरता जरूरी है। मौद्रिक नीति का मकसद ग्रोथ के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालीन आधार पर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य को हासिल करने पर बने रहना है।
पांच सदस्यों ने किया था रेपो रेट स्थिर रखने के लिए मतदान
एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए मतदान किया था। समिति में बाहरी सदस्य जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत तक कम करने और रुख को तटस्थ में बदलने के पक्ष में दलील दी थी। उन्होंने कहा कि राजकोषीय मजबूती की प्रक्रिया 2024-25 में जारी रहने का अनुमान है, इससे मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिम के बिना मौद्रिक नीति के स्तर पर नरमी की गुंजाइश बनती है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए उसपर दबाव बनाए रखना चाहिए।