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इस राज्य के किसानों को सरकार दे रही स्पेशल इंसेंटिव, जानें क्या है वजह? मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू

इंसेंटिव का मकसद मेरा पानी-मेरी विरासत योजना (Mera Paani-Meri Virasat Scheme) के तहत सरकारी किसानों को मक्का, कपास, बाजरा, दालें, मसाले और फल के साथ ऑप्शनल कारोबार शुरू करने के लिए धान

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: October 22, 2023 18:16 IST
व्यावसायिक विविधता के तहत 20 लाख एकड़ भूमि निर्धारित की गई है- India TV Paisa
Photo:REUTERS व्यावसायिक विविधता के तहत 20 लाख एकड़ भूमि निर्धारित की गई है

हरियाणा (Haryana) के किसानों को सरकार की तरफ से विशेष प्रोत्साहन (special incentive) दिया जाएगा, ताकि न सिर्फ उनकी इनकम का प्रतिशत बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके। एक ऑफिशियल बयान में रविवार को कहा गया कि किसानों (farmers in Haryana) का भविष्य फसल विविधता पर केन्द्रित है। सरकार (Haryana government) ने इसको ध्यान में रखते हुए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की है। इसका मकसद जल संरक्षण सुनिश्चित करना है। अधिकारियों ने कहा कि इस साल यह योजना काफी सफल रही है और इसकी सफलता 2023-24 में देखी जा सकती है, जिसके लिए 42,480 करोड़ लीटर पानी निकालने का लक्ष्य रखा गया है।

कितना मिलेगा इंसेंटिव

खबर के मुताबिक, सरकार की तरफ से विशेष प्रोत्साहन (special incentive) के तौर पर 7,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इंसेंटिव का मकसद मेरा पानी-मेरी विरासत योजना (Mera Paani-Meri Virasat Scheme) के तहत सरकारी किसानों को मक्का, कपास, बाजरा, दालें, मसाले और फल के साथ ऑप्शनल कारोबार शुरू करने के लिए धान की फसल में विविधता लाना है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में कुल 63,743 ओकरा क्षेत्र में 41,947 किसानों द्वारा फसल विविधता का समावेश किया गया और इसके लिए 45 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया। इसका फायदा यह हुआ कि 22,565 करोड़ लीटर पानी की बचत हुई।

 42,480 करोड़ लीटर पानी बचाने का टारगेट
व्यावसायिक विविधता के तहत 20 लाख एकड़ भूमि निर्धारित की गई है, जिस पर राज्य सरकार (Haryana government) द्वारा लगभग 84 करोड़ रुपये का अनुदान राशि खर्च होने की उम्मीद है। इस योजना के तहत लगभग 42,480 करोड़ लीटर पानी बचाने का टारगेट है। राज्य सरकार ने मिट्टी के स्वास्थ्य को खराब होने से बचाने और किसानों के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक कृषि योजना लागू की है। भाषा की खबर के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि क्षेत्र में पारंपरिक खेती के अलावा सब्जियों की तरफ भी बदलाव बहुत जरूरी है।

राज्य सरकार किसानों को पारंपरिक खेती की जगह बागवानी के लिए प्रेरित करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। साथ ही जल संरक्षण को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने धान की अलग-अलग हिस्सेदारी की योजना भी शुरू की है। इसके तहत, धान की सीधी बिक्री को बढ़ावा देने के लिए 12 शोरूम - धनबाद, यमुनानगर, करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, टीला, जिंद, गोवा, लाहौर, रोमानिया में परफॉर्मेंस प्लांट सेट अप किए जाएंगे।

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