ऑनलाइन गेमिंग के अलग-अलग खेलों पर जीएसटी की दर एक समान नहीं होगी। सरकारी अधिकारियों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र और राज्यों के जीएसटी अधिकारी ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिलकर ‘कौशल वाले खेलों’ तथा ‘किस्मत आजमाने वाले खेलों’ की व्याख्या पर काम कर रहे हैं ताकि दोनों तरह के खेलों के लिए अलग कराधान ढांचा तैयार किया जा सके। सूत्रों ने यह जानकारी दी। ऑनलाइन खेलों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने का पेचीदा मुद्दा पिछले एक साल से अधिक समय से विवाद का विषय बना हुआ है। कई राज्यों ने ऐसे ऑनलाइन खेलों पर कम दर से कर लगाने की मांग की है, जिनमें कौशल की जरूरत होती है।
खेलों की परिभाषा के आधार पर टैक्स
उनका मत है कि कौशल के खेलों को किस्मत आधारित खेल के समान नहीं माना जाना चाहिए। इन खेलों की स्पष्ट परिभाषा के अभाव में कई बार ऑनलाइन गेम पोर्टलों को कर नोटिस भेजे जाते हैं और बाद में कानूनी विवाद शुरू हो जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि जीएसटी परिषद की विधायी समिति की शनिवार को बेंगलुरु में हुई बैठक में ‘संयोग वाले खेलों’ और ‘कौशल वाले खेलों’ की परिभाषा से संबंधित मुद्दों पर तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञों से चर्चा की। विधायी समिति में सभी राज्यों के शामिल नहीं होने से परिभाषा संबंधी मसौदा रिपोर्ट सभी राज्यों के साथ साझा की जाएगी और उस पर उनकी राय मांगी जाएगी। जीएसटी परिषद ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ जैसे खेलों पर कराधान के बारे में मंत्री समूह की रिपोर्ट पर दिसंबर के अंत में होने वाली बैठक में विचार करेगी।
28 फीसदी जीएसटी लगाने की मांग
मंत्री समूह ने जून में सुझाव दिया था कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र पर 28 फीसदी की दर से कर लगाया जाना चाहिए। हालांकि उद्योग की मांग है कि कौशल वाले खेलों पर कम दर से कर लगाया जाए क्योंकि अधिक कर दर होने पर पुरस्कार की राशि घटानी पड़ेगी। अभी संयोग वाले खेलों पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है।