जीएसटी अधिकारियों ने फर्जी पंजीकरण के खिलाफ अभियान के दौरान दिसंबर 2023 तक आठ महीनों में 44,015 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) दावों में शामिल 29,273 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है। इससे 4,646 करोड़ रुपये का राजस्व बचाने में मदद मिली। सरकार ने रविवार को यह जानकारी दी। वित्त मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 4,153 फर्जी कंपनियों का पता चला, जिनमें करीब 12,036 करोड़ रुपये की संदिग्ध आईटीसी चोरी में शामिल थीं। केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने इनमें से 2,358 फर्जी कंपनियों का पता लगाया।
सबसे अधिक 926 कंपनियां महाराष्ट्र में
इनमें से सबसे अधिक 926 कंपनियां महाराष्ट्र में, इसके बाद राजस्थान में 507, दिल्ली में 483 और हरियाणा में ऐसी 424 कंपनियों का पता चला। मंत्रालय के अनुसार, इन मामलों में 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 31 गिरफ्तारियां केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों द्वारा की गईं। अक्टूबर दिसंबर तिमाही के दौरान चलाए अभियान में 1,317 करोड़ रुपये के राजस्व को बचाने में मदद मिली जिसमें से 319 करोड़ रुपये की वसूली हुई और 997 करोड़ रुपये आईटीसी को अवरुद्ध करके सुरक्षित किए गए। मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने जीएसटी पंजीकरण प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं। पंजीकरण के समय ‘बायोमेट्रिक’ आधारित आधार प्रमाणीकरण की पायलट परियोजनाएं गुजरात, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश राज्यों में शुरू की गई हैं।
सिएट को जीएसटी मांग को लेकर नोटिस
हाल ही में टायर बनाने वाली सिएट लि.को महाराष्ट्र और गुजरात के वडोदरा में कर अधिकारियों से जीएसटी और जुर्माने की मांग को लेकर 19 करोड़ रुपये का नोटिस मिला है। सिएट लि.ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वडोदरा के अतिरिक्त आयुक्त (केंद्रीय जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) ने 3.27 करोड़ रुपये के ब्याज और 13.68 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ आदेश जारी किया है। इससे पहले, कंपनी को कारण बताओ नोटिस दिया गया था। इसका कारण इनपुट टैक्स क्रेडिट को ‘क्रेडिट लेजर’ दिखाने में देरी थी। एक अन्य मामले में, महाराष्ट्र के कर उपायुक्त ने एक आदेश जारी कर 22 लाख रुपये और ब्याज के रूप में 26 लाख रुपये की मांग की है। साथ ही दो लाख रुपये जुर्माने की मांग की है। यह मामला आपूर्तिकर्ता के कर भुगतान नहीं करने से इनपुट टैक्स क्रेडिट की स्थिति में बदलाव से संबंधित है।