Highlights
- ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव
- जीएसटी परिषद की 28-29 जून को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में विचार
- 28 फीसदी कर लगाने से ये सेवाएं पान मसाला, तंबाकू और शराब के समकक्ष आ जाएंगी
अगर आपको भी ऑनलाइन गेम खेलना या घुड़दौड़ और कसीनो में पैसे लगाने का शौक है तो आपके इस शौक पर भी महंगाई की मार पड़ सकती है। जीएसटी परिषद बुधवार को इस पर बड़ा फैसला ले सकती है। जीएसटी की सर्वोच्च संस्था जीएसटी काउंसिल की इस सप्ताह होने वाली बैठक में ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा होने की संभावना है।
सूत्रों ने कहा कि मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) की तरफ से पेश रिपोर्ट पर जीएसटी परिषद की 28-29 जून को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में विचार किया जा सकता है। जीओएम ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि ऑनलाइन गेमिंग के कुल मूल्य पर कर लगाया जाना चाहिए, जिसमें खेल में भाग लेने पर खिलाड़ी द्वारा दी जाने वाली एंट्री फीस भी शामिल है।
घुड़ दौड़ और कसीनो पर भी बढ़ेगा GST?
गेमिंग के अलावा यदि आपको घुड़दौड़ और कसीनो में पैसा लगाने का शौक भी मंहगा हो सकता है। घुड़दौड़ के मामले में जीओएम ने सुझाव दिया है कि दांव लगाने के लिए जमा की गई पूरी राशि पर जीएसटी लगाया जाए। कसीनो के बारे में जीओएम ने कहा है कि एक खिलाड़ी द्वारा कसीनो से खरीदे गए चिप्स/सिक्कों के पूर्ण अंकित मूल्य पर कर लगाया जाएगा। इसके साथ ही जीओएम ने कसीनो में प्रवेश शुल्क पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने की सिफारिश भी की है।
फिलहाल इन पर लगता है 18 प्रतिशत GST
सरकार ने पिछले साल मई में कसीनो, ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल और घुड़दौड़ पर जीएसटी के मूल्यांकन के लिए मंत्रियों की समिति बनाई थी। फिलहाल कसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग की सेवाओं पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो पर 28 फीसदी कर लगाने से ये सेवाएं पान मसाला, तंबाकू और शराब के समकक्ष आ जाएंगी, जिन्हें बुरा समझा जाता है।
ब्लैक मनी से जुड़ा खतरा
ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो पर वैल्यू एड की बजाय ग्रॉस रेवेन्यू पर कर लगाना वैश्विक कर व्यवस्था के अनुरूप नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इससे कुछ समय के लिए राजस्व बढ़ सकता है लेकिन लंबी अवधि में बड़े पैमाने पर काला धन पैदा होने की आशंका है क्योंकि यह कर चोरी के लिए असंगठित क्षेत्र को बढ़ावा देगा।