रियल एस्टेट कंपनी टाटा हाउसिंग डेवलपमेंट (Tata Housing Development) ने भारी मांग के बीच बिक्री बढ़ाने के मकसद से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में देशभर में अपनी कुछ परियोजनाओं में कम स्टाम्प शुल्क और मुफ्त उपहार सहित कई अन्य पेशकश की घोषणा की है। कंपनी ने बयान में कहा कि वह भारत के दक्षिण और पश्चिम क्षेत्रों में अपनी प्रतिष्ठित लक्जरी परियोजनाओं के लिए विशेष स्वतंत्रता दिवस पेशकश कर रही है। कंपनी ने कहा, “टाटा हाउसिंग इस उच्च मांग की अवधि का लाभ उठाते हुए स्टाम्प शुल्क में कमी जैसे पर्याप्त वित्तीय लाभ प्रदान कर रही है, ताकि इस त्योहारी सत्र के दौरान खरीदारों के लिए घर खरीदना अधिक प्राप्य और फायदेमंद हो सके।”
19 लाख रुपये तक की बचत
पश्चिमी क्षेत्र में, ठाणे में टाटा हाउसिंग की ‘सेरीन’ परियोजना स्टाम्प शुल्क पर 19 लाख रुपये तक की पर्याप्त बचत की पेशकश कर रही है। वहीं, कल्याण में टाटा हाउसिंग का ‘अमंत्रा’ अपने घर खरीदारों को पहली 25 यूनिट के लिए स्टाम्प शुल्क पर चार लाख रुपये तक की बचत प्रदान कर रही है। इसके अलावा, पुणे में टाटा वैल्यू होम्स की ‘सेंस 66’ मजबूत भुगतान योजनाएं पेश कर रही है। दक्षिणी क्षेत्र में, कोच्चि में टाटा रियल्टी की ‘त्रित्वम’ परियोजना अपने घर खरीदारों को शून्य स्टाम्प शुल्क का लाभ प्रदान कर रही है। बेंगलुरू की ‘न्यू हेवन’ परियोजना में, यह तीन लाख रुपये तक का फर्निशिंग वाउचर प्रदान कर रही है।
प्रॉपर्टी खरीदते समय ध्यान रखें ये बातें
- 1. प्रॉपर्टी खरीदने से कम से कम 15 दिन पहले खरीदार को सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से एक सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए कि प्रॉपर्टी किसी भी तरीके के लोन या लोन के सभी मामलों से मुक्त है। इस सर्टिफिकेट के लिए चार्ज देना होगा। यह सर्टिफिकेट सेलर के लिए भी अच्छा है।
- 2. अगर प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज है, तो खरीदार यह मान लेगा कि विक्रेता सभी पे किए जाने वाले लोन, टैक्स और चार्जेस (यदि कोई हो) का भुगतान करेगा। इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लें और एग्रीमेंट में भी इसका जरूर उल्लेख करें।
- 3. लेन-देन को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय करें और उस समय सीमा के भीतर ही प्रॉपर्टी से संबंधित लेनदेन का निपटारा करें। प्रॉपर्टी बेचने के लिए हाउसिंग सोसाइटी से परमिशन या नो-ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट लेने में ही समझदारी है। इसके अलावा इनकम टैक्स विभाग, सिटी लैंड सीलिंग ट्रीब्यूनल या नगरपालिका से अनुमति ले लें।
- 4. आप अपनी प्रॉपर्टी या तो स्वयं से या किसी एजेंट के माध्यम से बेच सकते हैं। एजेंट इसमें काफी मददगार साबित हो सकते हैं। प्रॉपर्टी का विज्ञापन करना, ग्राहक को खोजना, उसे प्रॉपर्टी दिखाना, फिर उससे बातचीत करना, लेन-देन करना आदि में काफी समय लगता है।
- 5. वर्तमान में रियल एस्टेट की कई वेबसाइट्स हैं। यहां प्रॉपर्टी बेची या खरीदी जा सकती है। ऐसी वेबसाइट्स के माध्यम से संभावित ग्राहक तक पहुंचना आसान हो जाता है। यह जरूर ध्यान रखें कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी पर सेलर की ओनरशिप होनी चाहिए।
- 6. सेलर के पास इस बात का विवरण होना चाहिए कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी कब से सेलर के कब्जे में है। इससे जुड़ी जानकारी सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से हासिल की जा सकती है। संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई अन्य अधिकार या दावा नहीं होना चाहिए।
- 7. सेल वैल्यू और प्रॉपर्टी का पीरियड तय किया जाना जरूरी होता है। सेल के लेन-देन में सेलर को प्रॉपर्टी के राइट्स ग्राहक को ट्रांसफर करने होते हैं। इसके लिए एक सेल डीड बनानी होती है। इस डीड को रजिस्टर भी करना होता है। यह रजिस्ट्रेशन भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होता है।
- 8. प्रॉपर्टी से जुड़ा एग्रीमेंट खरीदार और सेलर के बीच होता है। इस एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र होता है कि जब तक खरीदार पूरी राशि का पेमेंट नहीं करता, तब तक प्रॉपर्टी का कब्जा सेलर के पास रहेगा।
- 9. इस सेल डीड में ओनरशिप ट्रांसफर,पेमेंट के तरीके, पैसे के आदान-प्रदान, स्टांप ड्यूटी, मिडलमैन आदि की जानकारी होती है। यह भी जान लें कि प्रॉपर्टी पर क्या कोई लैंड एग्रीमेंट है या नहीं।
- 10. लेन देन में यह स्पष्ट कर लें कि पेमेंट मंथली आधार पर किया जाना है या एकसाथ। साथ ही, किसी भी तरह के एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की सहमति लिखित तौर पर जरूरी होती है।