Saturday, November 02, 2024
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अब नहीं चलेगा Soda, Mineral Water या CD के नाम पर शराब या तम्बाकू का विज्ञापन, सरकार ने सरोगेट एड पर चलाया हंटर

कई प्रमुख ब्रांड, दिग्गज हस्तियों को अनुबंधित कर रहे हैं जो अन्य लोगों के साथ प्रभावित होने वाले युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: December 17, 2022 9:25 IST
surrogate advertisement - India TV Paisa
Photo:FILE surrogate advertisement

शराब और नशीले पदार्थों के विज्ञापनों पर बैन करीब 2 दशक से भी पुराना है। लेकिन इसके बाद भी शराब कंपनियां कभी गज़लों की सीडी के नाम पर या कभी मिनरल वाटर के नाम पर अपना प्रचार करती रहती हैं। विज्ञापनकी भाषा में इसे सेरोगेट विज्ञापन कहते हैं। अब सरकार इस प्रकार के सेरोगेट विज्ञापन पर सख्ती के मूड में दिख रही है। 

टेलीविजन और सोशल मीडिया मंचों पर किसी अन्य वस्तु के नाम पर नशीली पदार्थों मसलन शराब, पान मसाले आदि के विज्ञापनों के प्रसारण (सरोगेट विज्ञापन) से चिंतित सरकार ने उद्योग निकायों सीआईआई, फिक्की और एसोचौम तथा विज्ञापन एवं प्रसारण से संबंधित लोगों को ऐसे विज्ञापनों के संबंध में मौजूदा दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। इसका अनुपालन सुनिश्चित नहीं होने पर सरकार, उपभोक्ता संरक्षण नियामक सीसीपीए द्वारा उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

होंगे कड़ी सजा के प्रावधान 

भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, सरोगेट विज्ञापन (छद्म तरीके से प्रतिबंधित उत्पादों के विज्ञापन) या उन वस्तुओं या सेवाओं के अप्रत्यक्ष विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाते हैं जिनका प्रचार करने पर कानूनन रोक है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को कहा, ‘‘यह देखा गया है कि संबंधित संस्थाओं द्वारा इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है और प्रतिबंधित वस्तुओं का अब भी किसी अन्य वस्तु और सेवा के माध्यम से विज्ञापन किया जा रहा है।’’ 

जानिए कैसे कैसे हथकंडे अपना रही हैं कंपनियां

हाल ही में विश्वस्तर पर प्रसारित होने वाले खेल आयोजनों के दौरान इस तरह के सरोगेट विज्ञापनों के कई उदाहरण देखे गए थे। मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह भी देखा गया है कि संगीत सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड पेयजल की आड़ में कई मादक उत्पादों और पेय पदार्थों का विज्ञापन किया जा रहा है। जबकि चबाने वाले तंबाकू और गुटखे ने सौंफ और इलायची का आवरण ले रखा है।’’ 

सेलिब्रिटी भी शामिल हैं सेरोगेट विज्ञापनों में 

इसके अलावा ऐसे कई प्रमुख ब्रांड, दिग्गज हस्तियों को अनुबंधित कर रहे हैं जो अन्य लोगों के साथ प्रभावित होने वाले युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया मंचों पर मादक पेय पदार्थों के सीधे विज्ञापन के कई उदाहरण भी देखे गए। इसको लेकर मंत्रालय ने भारतीय विज्ञापन संघ, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन, ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन, एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया, पीएचडी चौंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, फेडरेशन ऑफ इंडियन चौंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, भारतीय उद्योग परिसंघ, एसोचौम, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स को निर्देश जारी किया है। इन संघों और उद्योग निकायों को भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम के लिए दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने और भ्रामक विज्ञापन के लिए समर्थन, विशेष रूप से सरोगेट विज्ञापनों से संबंधित प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। 

एक समाचार चैनल पर हुई कार्रवाई

मंत्रालय ने विज्ञापनदाताओं के संघों को आगाह भी किया कि संबंधित पक्षों द्वारा दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) पर सामने आएगा और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उपयुक्त कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 15 फरवरी, 2021 को ‘‘टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’’ मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले में, एक सरोगेट विज्ञापन और विज्ञापन कोड का उल्लंघन करने के लिए याचिकाकर्ता को प्रसारण के लिए दो दिन में हर घंटे सुबह 8 से रात 8 बजे के बीच 10 सेकंड तक माफी का विज्ञापन चलाने का निर्देश दिया गया था।

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