बीते कुछ सालों में इलाज का खर्च तेजी से बढ़ चुका है। वहीं दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित मरीजों पर दोहरी मार पड़ी है। क्योंकि उन्हें विदेश से दवाएं भारत मंगानी पड़ती है। महंगी होने के साथ ही इन दवाओं पर सीमा शुल्क भी अदा करना होता है, जिससे इनकी कीमत और भी बढ़ जाती है। लेकिन अब ऐसे दुर्लभ रोगों से पीड़ित मरीजों को सरकार की ओर से बड़ा तोहफा मिला है।
केंद्र सरकार ने दुर्लभ रोगों के उपचार के संबंध में निजी उपयोग के लिए विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आयातित सभी औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है। यह छूट एक अप्रैल से प्रभाव में आएगी।
सरकार ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है। दवाओं/औषधियों पर आम तौर से 10 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है, जबकि प्राणरक्षक दवाओं/टीकों की कुछ श्रेणियों पर रियायती दर से पांच प्रतिशत या शून्य सीमा शुल्क लगाया जाता है।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के संबंध में निजी उपयोग के लिए विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आयातित सभी औषधियों व खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।’’
स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी या डूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिए निर्धारित दवाओं के लिए छूट पहले से प्रदान की जाती है, लेकिन सरकार को ऐसे कई प्रतिवेदन मिल रहे थे, जिनमें अन्य दुर्लभ रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और औषधियों के लिए सीमा शुल्क में राहत का अनुरोध किया गया था। इन रोगों के उपचार के लिये दवाएं या विशेष खाद्य सामग्रियां बहुत महंगी हैं तथा उन्हें आयात करने की जरूरत होती है।