केंद्र सरकार ने 16 मई से प्रभावी कच्चे पेट्रोलियम पर विंडफॉल टैक्स को 8400 रुपये प्रति टन से घटाकर 5700 रुपये प्रति टन कर दिया है। अपने फैसले में सरकार ने हालांकि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि डीजल, पेट्रोल और एटीएफ पर विंडफॉल टैक्स शून्य रहेगा। इनमें कोई बदलाव पिछली समीक्षा के दौरान 1 मई को पेट्रोलियम क्रूड पर टैक्स को 9,600 रुपये प्रति टन से घटाकर 8,400 रुपये प्रति टन कर दिया गया था। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, जुलाई 2022 में कच्चे तेल उत्पादकों और गैसोलीन, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर कर लगाया गया था। विंडफॉल टैक्स को हर दो सप्ताह में संशोधित किया जाता है।
विंडफॉल टैक्स को समझिए
भारत ने जुलाई 2022 में कच्चे तेल उत्पादकों और गैसोलीन, डीज़ल और विमानन ईंधन के निर्यात पर टैक्स लगाना शुरू किया। इसका मकसद निजी रिफाइनर को नियंत्रित करना है, जो मज़बूत रिफ़ाइनिंग मार्जिन से फ़ायदा उठाने के लिए लोकल लेवल पर ईंधन बेचने के बजाय विदेशों में ईंधन बेचना चाहते थे। इस वजह से सरकार विंडफॉल टैक्स लागू करती है। विंडफॉल टैक्स का विस्तार गैसोलीन, डीज़ल और एटीएफ के निर्यात को कवर करने के लिए किया गया।
कच्चे तेल की कीमत
कच्चे तेल की कीमतें बुधवार को अमेरिकी व्यापार में तीन महीने के निचले लेवल पर आ गईं। इस वजह से लगातार दूसरे सत्र में गिरावट आई, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने इस वर्ष वैश्विक मांग के लिए अपने दृष्टिकोण को कम कर दिया है। ऐसे घटनाक्रमों ने पिछले सप्ताह अमेरिका में कच्चे तेल के बड़े भंडार में कमी दिखाने वाले शुरुआती आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया। अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत 2.2% गिरकर 72.72 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई, जो 26 फरवरी के बाद सबसे कम है, जबकि सत्र का उच्चतम स्तर 78.71 डॉलर रहा।
इसी तरह, ब्रेंट की कीमत बुधवार को 2% गिरकर 81.08 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जो 26 फरवरी के बाद सबसे कम है, जबकि सत्र का उच्चतम स्तर 83.03 डॉलर रहा। इकोनॉमीज डॉट कॉम के मुताबिक, अमेरिकी कच्चे तेल की कीमत बीते मंगलवार को 1% घटी, जबकि ब्रेंट में 0.8% की गिरावट आई।