Save Electricity: सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में 249 अरब यूनिट बिजली का संरक्षण किया। इससे बिल में 1.60 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाले बीईई की रिपोर्ट में यह कहा गया है। केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने शुक्रवार को यहां ‘राष्ट्रीय ऊर्जा आंकड़ा: सर्वे और विश्लेषण 2021-22’ रिपोर्ट जारी की। बिजली मंत्रालय ने कहा कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की रिपोर्ट को नीति आयोग के सहयोग से तैयार किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, 249 अरब यूनिट की बिजली बचत हुई है। बिजली संरक्षण की विभिन्न योजनाओं के परिणाम के तहत 1,60,721 करोड़ रुपये की ऊर्जा बचत हुई है। रिपोर्ट जारी करते हुए मंत्री ने गैस पर और सौर ऊर्जा से खाना पकाने की तुलनात्मक लागत जैसे आंकड़ों की जरूरत बताई।
ऐसे होगा काम
उन्होंने कहा कि हमारा कुल उद्देश्य ऊर्जा के आयातित स्रोतों पर निर्भरता कम करना है। ऐसा करने का तरीका दोतरफा है- अर्थव्यवस्था को विद्युतीकृत करना और फिर ऊर्जा को हरित करना। बीईई के महानिदेशक (डीजी) अभय बाकरे ने कहा कि प्रोत्साहन और सब्सिडी सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रभाव का आकलन किया जाएगा, उप-क्षेत्रीय ऊर्जा खपत रुझान का विश्लेषण किया जाएगा और बायोमास जैसे गैर-वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोतों पर आंकड़े एकत्र किये जाएंगे। बता दें कि इस समय देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 416 गीगावाट है जो अधिकतम बिजली मांग के दोगुने के करीब है। यहां तक कि भारत अपने पड़ोसी देशों को बिजली का निर्यात भी कर रहा है।
तेजी से हो रहा इस सेक्टर का विकास
सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया ने पिछले नौ वर्षों में भारत के बिजली क्षेत्र का कायापलट होते हुए देखा है। पावर ट्रांसमिशन के लिए 1.97 लाख सर्किट किलोमीटर की पारेषण लाइन भी जोड़ी गई है जिससे पूरा देश एक ग्रिड से जुड़ चुका है। इन पारेषण लाइन से देश के एक कोने से दूसरे कोने तक 1.12 लाख मेगावाट बिजली भेजी जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान भी वित्त वर्ष 2021-22 में घटकर 16.44 प्रतिशत पर आ गया जो 2020-21 में 22 प्रतिशत था। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हरित ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत ने सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सर्वाधिक वृद्धि दर हासिल की है।