Disinvestment: केंद्र सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के निजीकरण करले के फैसले को टाल दिया है। इस घटना से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है। अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, BPCL को खरीदने के लिए सिर्फ एक बोलीदाता रह जाने के बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। गौरतलब है कि इससे पहले जानकारी दी गई थी कि बीपीसीएल को खरीदने के लिए तीन बोलीदाता ने अपनी दिलचस्पी दिखाई थी। हालांकि, दो बोलीदाता ने वित्तीय असर्मथता बताते हुए अपनी बोली वापस ले ली। इसके बाद सरकार ने निजिकरण के फैसले को टाल दिया है।
अब 25 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने की तैयारी
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, विनिवेश सफल नहीं होने पर अब सरकार बीपीसीएल में 25 फीसदी तक हिस्सेदारी बेच सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार अब BPCL में 20-25% हिस्सेदारी के लिए बिड्स आमंत्रित करने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि सरकार की बीपीसीएल में 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है। शुरुआत में, सरकार की बीपीसीएल में अपनी पूरी हिस्सेदारी 8-10 अरब डॉलर में बेचने की योजना थी।
2020 में मांगी गई थी बोली
सरकार ने सबसे पहले 2020 में बीपीसीएल के लिए बोली मांगी थी। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिली। बीच में इसे खरीदने के लिए वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल का भी नाम सामने आया था। हाल ही में यह भी खबर आई थी कि सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि.(बीपीसीएल) के निजीकरण पर नए सिरे से विचार करने की तैयारी में है। एक अधिकारी का कहना है कि सरकार बीपीसीएल की बिक्री की शर्तों में भी बदलाव कर सकती है। अधिकारी ने कहा, हमें बीपीसीएल के निजीकरण के मामले पर नए सिरे से विचार करना होगा। गठजोड़ के गठन, भू-राजनीतिक स्थिति और ऊर्जा बदलाव जैसे पहलू हैं, जिनपर गौर करने की जरूरत है।