सरकार गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों को 26 अरब डॉलर के निवेश के लिए आमंत्रित करने जा रही है। यह पहली बार है जब सरकार परमाणु ऊर्जा में निजी निवेश को बढ़ावा दे रही है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। यह गैर-कार्बन उत्सर्जन ऊर्जा स्रोत है, जो भारत के कुल बिजली उत्पादन में दो फीसदी से भी कम योगदान देता है। यह फंडिंग भारत को 2030 तक अपनी स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।
5 कंपनियों से बात कर रही सरकार
सरकार इस निवेश के लिए 5 कंपनियों से बात कर रही है। इन कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा पावर, अडानी पावर और वेदांता शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक को 44,000 करोड़ रुपये निवेश करने को लेकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। पिछले एक साल में परमाणु ऊर्जा विभाग और सरकारी स्वामित्व वाली न्यूक्लियर पावर कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) ने निजी कंपनियों के साथ निवेश योजना पर कई दौर की चर्चा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस निवेश के साथ सरकार को 2040 तक 11,000 मेगावाट की नई परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता बनने की उम्मीद है।
NPCIL करती है संचालन
NPCIL भारत के मौजूदा परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का स्वामित्व और संचालन करती है, जिसकी क्षमता 7,500 मेगावाट है और उसने अतिरिक्त 1,300 मेगावाट के लिए निवेश किया है। फंडिंग योजना के तहत निजी कंपनियां परमाणु प्लांट्स में निवेश करेंगी। इसके अलावा भूमि, जल का अधिग्रहण करेंगी और संयंत्रों के रिएक्टर परिसर के बाहर संस्ट्रक्शन करेंगी।
अधिनियम में संशोधन की जरूरत नहीं
इस योजना को भारत के परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन परमाणु ऊर्जा विभाग से अंतिम स्वीकृति की आवश्यकता होगी। हालांकि, स्टेशनों के निर्माण, संचालन और उनके ईंधन प्रबंधन के अधिकार कानून के अनुसार NPCIL के पास ही रहेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, निजी कंपनियों को बिजली संयंत्र से बिजली बिक्री से राजस्व अर्जित करने की उम्मीद है और NPCIL एक शुल्क के लिए परियोजनाओं का संचालन करेगी।