Highlights
- सरकार दूरसंचार कंपनी VIL का परिचालन अपने हाथों में नहीं लेना चाहती है
- कंपनी पर इस समय करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है
- कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 35.8 फीसदी के आसपास हो जाएगी
नयी दिल्ली। दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) की तरफ से सरकार को देय बकाये पर ब्याज को इक्विटी में बदलने के फैसले के अगले ही दिन कंपनी ने बुधवार को कहा कि सरकार इस दूरसंचार कंपनी का परिचालन अपने हाथों में नहीं लेना चाहती है। यह खबर बाजार में आते ही कंपनी का शेयर एक बार फिर चढ़ गया। मंगलवार को जहां सरकारी की हिस्सेदारी के बाद कंपनी का शेयर 19 प्रतिशत टूट गया था, वहीं आज यह करीब 10 फीसदी चढ़ गया है।
वीआईएल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवींद्र टक्कर ने बुधवार को एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा कि सरकार के प्रबंधन अपने हाथों में लेने से इनकार के बीच वर्तमान प्रवर्तक कंपनी के परिचालनों का प्रबंधन करने एवं उसे चलाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। टक्कर ने कहा कि सरकार द्वारा सिलसिलेवार पुनरुद्धारों की घोषणा से क्षेत्र में निवेशकों की चिंताओं को शांत करने में मदद मिली है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वोडाफोन आइडिया वित्त जुटाने की अपनी योजनाएं जारी रखेगी।
कर्ज संकट का सामना कर रही वीआईएल ने मंगलवार को सरकार को चुकाए जाने वाले करीब 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को इक्विटी में बदलने का फैसला किया था। यह कंपनी में सरकार की लगभग 35.8 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर होगा। अगर ऐसा हो जाता है तो सरकार कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों में से एक हो जाएगी।
कंपनी पर इस समय करीब 1.95 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इस योजना के पूरी होने पर कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 35.8 फीसदी के आसपास हो जाएगी, जबकि प्रवर्तकों की हिस्सेदारी करीब 28.5 प्रतिशत (वोडाफोन समूह) और लगभग 17.8 प्रतिशत (आदित्य बिड़ला समूह) रह जाएगी।
टक्कर ने कहा कि बकाया पर ब्याज को इक्विटी में बदलने के विकल्प से संबंधित दूरसंचार विभाग के पत्र में ऐसी कोई शर्त शामिल नहीं है जिसमें निदेशक मंडल में सरकार को जगह देने की बात हो। उन्होंने कहा कि मौजूदा प्रवर्तक कंपनी के परिचालन का प्रबंधन संभालने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के साथ हमारे पूरे संवाद का निचोड़ पैकेज के रूप में निकला।
पैकेज की घोषणा के बाद भी सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वह कंपनी का संचालन अपने हाथों में नहीं लेना चाहती है। कंपनी के परिचालन को अपने अधिकार में लेने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। वह चाहती है कि बाजार में तीन निजी कंपनियां हों और सरकार एकाधिकार या केवल दो कंपनियों का बाजार पर अधिकार नहीं चाहती है।’’ टक्कर ने कहा, "सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कंपनी के प्रवर्तक ही इसे चलाएं और आगे ले जाएं।’’
उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में पूरी प्रक्रिया संपन्न होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कंपनी की अधिकांश देनदारी सरकार के प्रति होने से कुछ ऋण को इक्विटी में परिवर्तित करना अपने ऋण बोझ को कम करने का एक अच्छा विकल्प है। टक्कर ने कहा कि प्रवर्तकों ने मौजूदा शेयरधारक समझौते में संशोधन करने और निदेशकों की नियुक्ति तथा कुछ प्रमुख पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति सहित अपने मौजूदा शासन अधिकारों को बनाए रखने के उद्देश्य से ‘न्यूनतम योग्यता सीमा’ को 21 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत करने के लिए पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है।
वित्त जुटाने की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पुनरुद्धार के लिए उठाए गए कदमों का निवेशकों तक सकारात्मक संकेत गया और इससे कुछ चिंताओं और आशंकाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। टक्कर ने कहा, ‘‘यह प्रक्रिया वित्त जुटाने के लिहाज से सकारात्मक है, निवेशकों ने भी अपनी प्रतिक्रिया में इसे सकारात्मक बताया है।’’