Digital Personal Data Protection Bill: व्यक्ति से जुड़े डेटा की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने एक नई रणनीति तैयार की है, जिससे आम जनता को फायदा मिलेगा। भारत सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा बिल 2022 का मसौदा पेश किया है। इस अधिनियम का उद्देश्य डिजिटल पर्सनल डेटा के लिए रेगुलरेशन प्रदान करना है। यह आप जनता के अपने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकार और लॉफुल उद्देश्य के लिए पर्सनल डेटा को संसाधित करने की आवश्यकता है।
केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के मसौदे पर आपके विचार जानना चाहता हूं।"
पिछले डेटा प्रोटेक्शन बिल को इस साल की शुरुआत में संसदीय मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था। अब मंत्रालय ने इसका नाम बदलकर पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया है, जो पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर जोर देता है।
ये बातें होंगी जरूरी
इस मसौदे में कुछ सबसे जरूरी बातें जो सोशल मीडिया और अन्य टेक कंपनियों के इर्द-गिर्द घूमती है। डिजिटल पर्सनल डेटा बिल में कहा गया है कि डेटा एकत्र करने वाली संस्था को व्यक्तिगत डेटा को बनाए रखना बंद कर देना चाहिए या जैसे ही यह मान लेना उचित है कि प्राथमिक उद्देश्य के रूप में व्यक्तिगत डेटा को विशेष डेटा प्रिंसिपल के साथ जोड़ा जा सकता है, उसे हटा देना चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा को बनाए नहीं रखा जाना चाहिए।
बायोमेट्रिक डेटा के लिए भी लेनी होगी अनुमति
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को पूरा अधिकार भी देता है। यहां तक कि अगर किसी नियोक्ता को उपस्थिति दर्ज करने के लिए कर्मचारी के बायोमेट्रिक डेटा की आवश्यकता होती है, तो उन्हें स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी।
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल इसे करेगा प्रभावित
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल केवाईसी डेटा को प्रभावित करेगा। हर बार बचत खाता खोलने पर प्रतिबंध के लिए केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया के तहत इकट्ठा किया गया डेटा भी नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे में आता है। खाता बंद करने के छह महीने से अधिक की अवधि के लिए बैंक को केवाईसी डेटा बनाए रखना आवश्यक होगा।
बच्चों का व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने और बनाए रखने के लिए नियमों का एक नया सेट भी है। डेटा मांगने वाली इकाई को डेटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति की आवश्यकता होगी। सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लक्षित विज्ञापनों के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक तो नहीं किया जा रहा है।