इलेक्ट्रिक व्हीकल को भविष्य की सड़कों की सच्चाई के रूप में देखा जा रहा है। देश की सभी कार और बाइक कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों को जल्द से जल्द पेश करने की दिशा में काम कर रही हैं। लेकिन इस राह में सबसे बड़ा रोड़ इसकी लिथियम बैटरी है जिसके लिए हम चीन पर निर्भर है। लेकिन हाल ही में जम्मू में मिले लिथियम के बड़े भंडार ने सरकार और कंपनियों की चिंता की लकीरें कम जरूर कर दी है। अब अच्छी खबर यह है कि जम्मू क्षेत्र में मिली लिथियम की इन खदानों की जल्द ही नीलामी भी शुरू हो सकती है।
अंग्रेजी अखबार मिंट में छपी खबर के अनुसार केंद्र सरकार जून तिमाही की शुरुआत में जम्मू में खोजे गए नए लिथियम भंडार की नीलामी के लिए बोलियां आमंत्रित कर सकती है। इसका फायदा दोपहिया या कार कंपनियों के अलावा मोबाइल फोन कंपनियों को भी मिलेगा। मोबाइल की बैटरी में भी लिथियम का ही प्रयोग होता है।
भंडार की हुई है पुष्टि
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जम्मू में लिथियम भंडार की पुष्टि हो चुकी है। यहां पर जी-3 स्तर की खोज की गई है, इसका मतलब है कि लिथियम के भंडार यहां पर मौजूद हैं। इसके खनन की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है। मीडिया रपट के अनुसार यह एक खुली नीलामी होगी, जिसमें देशी विदेशी कंपनियां हिस्सा ले सकती हैं। लेकिन यहां सरकार की अहम शर्त यह होगी कि लिथियम का प्रयोग केवल भारत में ही होगा।
60 लाख टन लिथियम के भंडार
पिछले हफ्ते भारत के खनन मंत्रालय ने घोषणा की थी कि जम्मू कश्मीर में बड़े लिथियम भंडार की खोज हुई है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार दिल्ली से 650 किमी उत्तर में जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन के लिथियम भंडार का पता लगाया था। यदि इस क्षेत्र से भारत को लिथियम प्राप्त होता है तो आने वाले समय में भारत इलेक्ट्रिक बैटरी क्षेत्र का किंग बनकर उभर सकता है।
भारत को 33000 करोड़ के निवेश की जरूरत
एक अध्ययन में यह कहा गया है कि सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) के तहत 50 गीगावॉट के लिथियम आयन सेल और बैटरी विनिर्माण संयंत्रों की स्थापना करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को 33,750 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। शोध संस्थान ‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू)’ ने एक स्वतंत्र अध्ययन जारी किया जिसमें कहा गया है कि 2030 तक अपने वाहन एवं ऊर्जा क्षेत्रों को कार्बन मुक्त बनाने के लिए देश को 903 गीगावॉट के ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता होगी।