केंद्र सरकार ने आटे की कीमतों पर लगाम कसने के लिए शुक्रवार को एक बड़ा कदम उठाया। सरकार ने व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, बड़े रिटेल चेन विक्रेताओं और प्रोसेसरों के लिए गेहूं का स्टॉक रखने की लिमिट सख्त कर दी है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी और जमाखोरी पर लगाम लगाना है। गेहूं पर ये संशोधित स्टॉक लिमिट 24 जून को लगाए गए स्टॉक लिमिट के करीब दो महीने बाद आई है। ये प्रतिबंध सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेंगे।
2,000 टन तक स्टॉक रख सकेंगे व्यापारी और थोक विक्रेता
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि संशोधित नियमों के तहत, व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को अब 2,000 टन तक स्टॉक करने की अनुमति है, जबकि पहले यह लिमिट 3,000 टन थी। बड़े रिटेल चेन विक्रेताओं अपने प्रत्येक बिक्री केंद्र में ‘‘10 टन और अपने सभी डिपो पर (कुल बिक्री केंद्र की संख्या का 10 गुना) तक गेहूं का भंडारण कर सकते हैं।’’ पहले, उन पर बिक्री केंद्र की संख्या के आधार पर गेहूं स्टॉक करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर स्टॉक की स्थिति अपडेट करना अनिवार्य
प्रोसेसरों के लिए, लिमिट को घटाकर उनकी मासिक स्थापित क्षमता (MIC) का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। अभी तक ये 70 प्रतिशत था। व्यक्तिगत खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक लिमिट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है यानी वे अभी भी 10 टन तक गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं। सरकार ने सभी संस्थाओं को अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने और इसे नियमित रूप से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल ‘‘https://evegoils.nic.in/eosp/login’’ पर अपडेट करना अनिवार्य कर दिया है।
केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के अधिकारी करेंगे निगरानी
तय की गई लिमिट से ज्यादा स्टॉक रखने वालों को नए नियमों का पालन करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। बयान में कहा गया है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक लिमिट के पालन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि देश में ‘गेहूं की कोई कृत्रिम कमी’ न पैदा हो।