Non Basmati Rice Export: दुनिया भर में करीब 40 प्रतिशत चावल की आपूर्ति करने वाले भारत की ओर से एक्सपोर्ट बैन को लेकर दुनिया भर के देश सकते में हैं। कई देश भारत से बैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट बैन खोलने के लिए भी गुजारिश कर रहे हैं। इस बीच भारत सरकार की ओर से एक बयान आया है, जिसमें बताया गया है कि चावल की किस वैरायटी को एक्सपोर्ट बैन के दायरे से बाहर रखा गया है। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने मंगलवार को कहा कि उसना गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बंदिश लगाने की सरकार की फिलहाल कोई योजना नहीं है।
20 जुलाई को सरकार ने लगाया था प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने यह कदम आगामी त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और इनकी खुदरा कीमतें काबू में रखने के इरादे से उठाया था। इसके पहले पिछले साल सितंबर में टूटे चावल का निर्यात भी रोक दिया गया था। चोपड़ा ने यहां एक कार्यक्रम में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘उसना गैर-बासमती चावल के निर्यात पर अंकुश लगाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।’’
रूस से गेहूं आयात करने पर भी फैसला नहीं
खाद्य सचिव ने कहा कि सरकार की रूस से गेहूं आयात करने की भी फिलहाल कोई योजना नहीं है। सरकार ने पिछले साल मई में ही गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 4.8 अरब डॉलर के बासमती चावल का निर्यात किया था। मात्रा में यह निर्यात 45.6 लाख टन था। इसी तरह गैर-बासमती चावल का निर्यात पिछले वित्त वर्ष में 6.36 अरब डॉलर रहा था, जबकि इसकी मात्रा 177.9 लाख टन थी।
कुल चावल निर्यात में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी
खाद्य मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि देश के कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत है। इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें नीचे लाने में मदद मिलेगी। गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला इस अनाज की कीमतें बढ़ने के बाद उठाया गया था। अप्रैल-जून तिमाही में गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात 15.54 लाख टन हो गया जबकि साल भर पहले की समान तिमाही में यह 11.55 लाख टन रहा था। खरीफ फसल वर्ष 2022-23 में देश का कुल चावल उत्पादन बढ़कर 13.55 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है जबकि इसके एक साल पहले यह 12.94 करोड़ टन रहा था।