भारत में करोड़ों रुपये की नकली दवाओं के खिलाफ सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों ने बड़ा एक्शन लिया है। बीते कुछ समय से अफ्रीकी और सेंट्रल एशिया के देशों से मिल रही शिकायत के बाद सरकार ने यूपी, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे राज्यों में काम कर रही 18 दवा कंपनियों के लाइंसेंस कैंसिल कर दिए हैं। इसके साथ ही सरकार ने देश भर की 70 दवा कंपनियों कंपनियों पर शिकंजा कसा है।
बदनाम हो रही दुनिया की फार्मेसी
पिछले साल अक्टूबर से, भारत खराब क्वालिटी वाली दवाओं के निर्यात के आरोपों का सामना कर रहा है। इसके बाद से भारत की ’दुनिया की फार्मेसी’ की दशकों पुरानी छवि खराब होने की चिंता बढ़ गई है। बता दें कि अफ्रीका और मध्य एशिया के देशों में भारतीय दवाओं के इंपोर्टर्स की तरफ से लगाए गए, कई आरोपों के बाद सरकार ने ये बड़ा कदम उठाया है।
अफ्रीका और मध्य एशिया से मिली शिकायतें
केंद्र सरकार के पास बीते कुछ समय से देश में बन रही नकली या खराब क्वालिटी वाली दवाओं को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। पिछले साल अफ्रीकी देश गांबिया में बच्चों की मौत के बाद भारतीय कंपनियों पर गंभीर आरोप लगे थे। वहीं इसी साल मध्य एशिया के देश उज़्बेकिस्तान के अलावा अमेरिका में भारतीय कफ सीरप से बच्चों को हुए नुकसान की खबरें आई थीं। इन देशों की ओर से लग रहे आरोप दुनिया भर में प्रतिष्ठित भारतीय दवा इंडस्ट्री के लिए भी किसी बदनामी से कम नहीं था।
203 दवा कंपनियों की हुई जांच
भारत में मानक गुणवत्ता वाली दवाओं या खराब क्वालिटी वाली दवा बनाने की जांच के लिए एक स्पेशल ऑपरेशन चलाते हुए, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने 203 दवा कंपनियों की पहचान करने के बाद, पूरे भारत के 20 राज्यों में दवा निर्माताओं के यहां छापेमारी की। सीडीएससीओ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करने वाली एक ब्रांच है।
इन राज्यों की कंपनियों पर चला हंटर
जिन राज्यों में कार्रवाई की गई है उसमें आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा, ’पहले फेज में सरकार ने 76 कंपनियों पर कार्रवाई की है, जिनमें से 18 कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं और कामकाज बंद करने का आदेश दिया गया है।’